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२५ सकाम-निष्काम कर्म
१. चित्त-बन्धन
यह पहले बताया जा चुका है कि कर्मका सम्बन्ध वर्तमान कालके साथ है और उसके फलका भविष्यत् कालके साथ । इसलिये काम करना मात्र ही जहां इष्ट है उस निष्काम कर्मकी कामना केवल वर्तमानके साथ सम्बद्ध है, जबकि फल-भोगके साथ जुड़ी होनेके कारण सकाम कर्मको कामना वर्तमानकी अपेक्षा भविष्यत्के साथ अधिक सम्बद्ध है। यही कारण है कि वह काम करनेसे पहले भविष्यत्की ओर दौड़ लगाती है और वहां बैठकर एक लम्बा चौड़ा वैकल्पिक जगत् बसा लेती है। "मेरा यह काम सफल हो गया तो मेरे पास एक महल होगा, मोटर गाड़ियां होंगी, दासी-दास होंगे, सारे समाजमें मेरा सम्मान होगा। तब अपने मित्रोंपर अनुग्रह करूंगा और अपने द्वेषियोंको नीचा दिखाऊंगा। कदाचित् यह काम सफल नहीं हुआ तो इसमें लगाई गई सारी पूँजी बरबाद हो जायेगी, मैं वर्तमानसे भी अधिक गया बीता हो जाऊँगा, किसीको मुंह दिखाने योग्य नहीं रहूंगा, हो सकता है कि भीख मांगनी पड़े' इत्यादि । काम प्रारम्भ करनेसे पहले तथा काम
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