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________________ (२४) 2. पाण्डु और चित्रांगद के बीच संवाद 3. कर्ण कथा- - कुन्ती के साथ पाण्डु का विवाह 4- 5. 6. 7. 10. 11. युधिष्ठिर आदि पाण्डवों का मोक्ष गमन व्यास का गंगास्तान और फिर ताम्रभाजन कान मिलना मनोवेग पटना की एक और अन्य वादशाला में पहुंचे 8- 9. बौद्ध भिक्षुओं को श्रृंगाल द्वारा आकाश में 15.75-94 उठा ले जाना 12. विद्याधरवंशोत्पत्ति कथा 2-3, 4-5. 13-15. राक्षस वंशोत्पत्ति कथा 16- 21. वानर वंशोत्पत्ति कथा 22. समीक्षात्मक समापन रामचंद्रजी का वनवास से लेकर श्रीलंका 15.95-98 में प्रवेश समीक्षात्मक समापन नवम सन्धि 1. मनोवेग ने पुन: पौराणिक कथाओं की व्याख्या की कविट्ठखादन कथा इस कथा की समीक्षा 15.22-31 15.32-41 6 - 10. दधिमुख और जरासंध कथा । बिना धड़ के व्यक्ति का शिर एक दूसरे घड़े पर गिरने पर जुड़ जाना 15.42-55 15.56-66 यहां पुराणों की समीक्षा जैन दृष्टिकोण से की गई है जो हरिषेण ने नहीं की । 15.57-74 Jain Education International 16.1-21 यहां यह समीक्षा अधिक विस्तृत है । अमितगति ने इसका वर्णन नहीं किया 隷 · For Private & Personal Use Only 券 16.22-27 19.22-37-43 16.44-57 यहां अधिक विस्तृत समीक्षा है | 16.58-84 www.jainelibrary.org
SR No.003672
Book TitleDhammaparikkha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherSanmati Research Institute of Indology Nagpur
Publication Year1990
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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