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________________ अभक्खभक्खणु संभाविय सो अपे पे संभवि उ तद्यथा स्वयमेवागतां नारों यो न कामयते नरः ब्रह्महत्या भवेत्तस्य पूव्वं ब्रह्माब्रवीदिदम् ॥ ॥ अवरु महा अगम्मविहि मासिउ एवमाइ अवरु वि जंपेविणु कोवसमाणु वरु साहेविणु कालासुरु कयत्थु जियगे हहो तो दुट्ठत्तु दिएहि ण लक्खि उ उपमाणु अविणासिउ तद्यथा मातरमुपैहि स्वसारमुपंहि पुचार्थो न कामार्थी || २ || लोएँ ण वि विसयामिसलुद्धे इय मरु वेयवेड संजायउ अवरु वि मुणिसुव्वयजिणगाहहो वासुरविमुएवल धवलंग उ १३७ (9) मज्जपाणि सोयामणि दाविय । आगय परदारु वि सेवाविउ । रिसिलघु पास जिणणा तित्थे गउ पुत्र सिजज्जपुरणयरे जाणिए मुनिगाहें संघ वृत्तु णियजणणी संगम पयासिउं । Jain Education International पडु अधम्मुवि धम्मु कहेविणु । णिय आसमहो जामि पभणेविणु । गउ संतुट्ठ रमणिगण सोहहो । धम्मु भणिवि गहिउ अपरिक्खि उ । 10 इय भणेवि सविसेसु पयासिउ । गहिउ भणेविणु सुहरु मुद्धे । कालकमेण जाउ विक्खायउ । तत्थि वहतें णाणसणाहहो । तो कंकालु लेवि सोयगउ । घत्ता हरि जीवंतु गणतउ खंधि वहंतउ छम्मासार्वाहि जइयहो । उता मिच्छालाएँ इह किउ लोएँ कंकालवउ वि तइयहो || ९ || (10) 5 विहरंतु पिहिवि पडियपसत्थे । मंसासिय सयलणायरियणियरे । मा जाउ को विचरियए णिरुत्तु । 15 ( 9 ) 1.b उब्भविउ महुपाणु सुत्तामणि दाविउं, 2.b आगउ परयारु, 3.a नारी, 4. भवेतस्य 5 a तहा अगमुबिहि, 6. b स्वसारमुपैहि, b. omits च, Amitagati does not quote the verse in his धर्मपरीक्षा, 9.b कालासुभ, गउ सतुरं तुणिगण०, 10 a दिएहि, b. omits ण, 12.b. omits ण, b विसया आमिस०, 13.b जेण कमेण for कालकमेण, 14.b वहंत, 15.6 सोएं गउ, 46.6 छम्मासावइ, 17.2 तइयहो । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003672
Book TitleDhammaparikkha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherSanmati Research Institute of Indology Nagpur
Publication Year1990
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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