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________________ कालेण तुम्ह कुलधम्मु णट्ठ तो भणिउ तेहि णिग्गमहु वेउ तो तेण करे विसडंगु वेउ दट्ठव्वो रे अप्पा मुणेहु अणुमंतव्वो वि दधामि सव्वु इय एवमाइ वयणइ भणेवि पुणु दुक्खवलक्ख दरिसिय समेण पासंडिहिं एउ पासंडु सिठ्ठ । जे जाणहु णियकुलधम्मु देउ । सयमेव पढाविय विप्पएउ । सोयव्यो रे अप्पा गणेहु । जिह अप्पा तिह परु गणहु सव्वु । परमहो वीसासहो पढम णेवि । णिय कोवकज्जु सारिउ कमेण । 10 घत्ता- अतिहिपियर सम्माणह जण्णविहाणह धम्म जीव हणाविय । दियकुलधम्म भणेविणु वेउ पढेविणु सग्गमोक्खफलदाविय ।।७।। (8) 5 कप्पहो महु क्ख वरसोत्तियासु अहवा मह जु गेहा गयासु । अणड हिय हरिणि अह वाहणेहु अवरहि वि अतिहितप्पणु करे । सल्लयगंडय अयसंसयमेस रुरुसंवरहरिणवराहम हिस । पारावयलावयहसमारे वट्टइयचासतित्तिरचउर । सारयभेरुंड कवोयकुरर इय एवमाइ वहु पक्खि यवर। रोहियमच्छाइयपहाण जलयरथलयर वि अमियपमाण । घाएवि भुंजावेवि विप्पपवर पीणिज्जह भत्तिए मोत्तपियर । णाणाविह जण्णविहाण भेउ अवरु वि दरिसिउ पढिऊण वेउ । राएँ अह राउ वि हणिउ जेत्थु सो रायसूउ भासिउ पसत्थु । गयमेहु महागयहवण सिद्ध अस्सवहु अस्समेहु वि पसिद्ध। घत्ता- गोअपसूय हुणिज्जइ जहिंसो गज्जइ जगे गोमेहु पसत्थउ । पसुमेहु वि पसुहोमें सहुं वर सोमें सरगुप्पायसमत्थउ ॥८॥ 10 (7) la तेहि, सहसंतभाउ पणवेप्पिणु, 2.a तुम्हेइ, 3.a अवयण्णउ, b अवइण्णउं मुणहुं, b हउं, 4.a वेय, 5.a एवि, b पायड, a करेवि, 6.a पासंडिहि, 7.b भणिउं, a जाणह, 9.a दट्ठचोरे, 10.b वयणइं, 12.b दुरुवलक्ख, 13.b सम्माणहु जण्णविहाणहु, 14.a वेय । (8) 2.b मि for वि, 3.b •महिस० for •ससय०, 4.b चर्कर, 5.b कुरुर, b पक्खपवर, 6.b रोहित्तय, b. omits थलयर before वि, 7.a विपपउर, b वीणिज्जहु, 9.b हुणिलं, b पयत्यु, 11.b हणिज्जइ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003672
Book TitleDhammaparikkha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherSanmati Research Institute of Indology Nagpur
Publication Year1990
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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