SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 264
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १३० घत्ता- खेडहु सुपयासइ सोलहसहसई णवणवइँ दोणा मुहह । अडयाल सहासइ रयणब्भासइ पट्टणाण जण कय सुहह ।।२३।। (24) गिरिवररूढहँ जणदुहहराह पच्चंतहँ सत्तसय हवंति। छप्पण्णवरंतरदीवयाई णयणिज्जिय पवरण राहिवाह देवह तणुरक्ख वियाणयाह हलकोडिएक्क करिसणि चलेइ जियकामधेणु वच्छाणुयाह अमियसमय अत्ताहारयाह कोडिउ वहुउ किंकरवराह चउरासीलक्खइ गयवराह च उदहसहास संवाहणाह। तेत्तियहँ कुवासहँ संभवति । अडवी सचारुवण दुग्गयाइं। सहसट्ठारह मिच्छाहिवाह । सोलहसहसाइ कयाणयाह। चुल्लीणकोडि भायणे जलेइ । खीरहरकोडि वरधेणुयाह । सयतिण्णिसठ सूयारयाह । अट्ठारहकोडिउ हयवराह । तेत्तिय जेमणि मयरहवराह। 10 घत्ता- इय लच्छि विहसिय अमरणमंसिय चक्कट्टिरिउदंतिहरि । तहु अद्धसिरीहर पडिहरिहलहर धम्मे उप्पज्जति हरि ॥२४॥ (25) मउडपघिट्ठ पाय अरविंद जाण णमहि णाणामरविदई । उक्खय करकरवाल णिरिक्खहँ चउरासीलक्खइँ तणुरक्खहँ । कय जयणंदवद्ध उच्चारउ गुरुयणियं व मदसंचारउ । चउदह विहसह जालंकार उ णाणाविह वीगा झंकार उ । देहदित्तिदिवियणियणि लयउ अहिणव हरियंदण कयतिलयउ। 5 भाललुलिय अलयावलिवलयउ णवजोव्वणवियड्ढ रयणिलयउ । पत्तेयं पिह रइ अणरूवउ सोलससहस विहिय णियरूवउ । सत्तावीसकोडि तियसेविउ जाणपहाण अट्ठमह एविउ । जोयणलक्खगत्तु अइरावउ वेउव्विय चउवयणु सुरावउ । (24) la ०रूढह, a हराह चउद्दससहासवरवाहणाह, 2.a पच्चंतह सत्तसयई, a तेत्तियइ, कुवासहं, 3.a दीवयाइ, a दुग्गयाइ, 4.b मिच्छाहिवाहं, 5.b वियाणयाहं, b सहसाहं कयाणयाहं, 6.a भाणसि for भायणे, 7.b वच्छाणुयाह, b वरधेणुयाहं, 8.a अताहारयाहं, b अत्ताहारयाहं, a सयतिणि, b सूयारयाहं, 9.b किंकरवराह, b हयवराह, 10.b लक्खई गयवराह, a तेत्तिइथ, b वराह, 12.b तहं for तहु, a हरा for हरि । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003672
Book TitleDhammaparikkha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherSanmati Research Institute of Indology Nagpur
Publication Year1990
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy