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अंगयजरसंधकुमारकहा दो फालु वि अंगउ मिलइ जेत्य। जरसिंधु कुमारहु लग्गु अंगु परसच्चु एउ जं दियहु इट्ट तो तेहि वुत्तु पइ भणिउ जाव पर खाइ मुडु धडु धाइ केव इह लोइ विप्पं भोयणु करंति चिरकाल मुया दूरंगया वि . णियडच्छु कवित्थइ खाइ मंडु
कहिऊण भणिय तें विप्पसहा।। महु सिरु महु अंगहु किं ण तेत्थु। 5 कि महु ण घड धडु उत्तमंगु । सद्दण्णु वि घय एक्कउ ण दुर्छ । तं मण्णिउ सच्चउ होउ ताव । तं णिसुविण जइ भणइ एव । परलोए पियर कहि दिहि धरंति। 10 णाणाविहि जोणि समग्गया वि । तक्खणे वि ण कि महु भरइरंडु ।
घत्ता- केत्तिउ वह जंपिहु चित्ति वियप्पहु रावणआइ कहाणउ ।
जा भारिसु तं जइ तारिसु तेण अलिउ महु वयणउ ॥११॥
(12) सेयंवर भासिउ विप्प सुणेवि सुसस्थपुराणअ सच्च मुणेवि। ण पहि किं पि विहंडिय माण विचितहि एयहो वाय पमाण । णिरुत्तर विप्प णिएवि सुवुद्धि पुणो वि पयासइ तत्थु वि सुद्धि । सुसत्थु सुधम्म सुलिगु सुदेउ । परिक्खिवि लक्खहो मोवखहो भेउ । ण सुम्मइ जत्थ सवाय विरोहु तमेव ससत्थु विणासिय मोहु । 5 सुधम्मु वि जित्थ ण कम्मु सहिंसु अहिंसु जे दिठ्ठ उ णग्गु जइंसु । सुदेउ दसट्ठहि दोसहि चुक्कु सुमोक्ख असेस परिग्गह मुक्कु । सुलिगु सुहाउ सुणेवि सुसत्थ सुधम्मु मुणेह गुणड्नु पसत्थु । सुधम्मफलेण सुदेवहो झाणु करेवि लहेह सुणिम्मल णाणु । सुणाण गुणेण विणासिय दुक्खु लहेह सुमोक्खु अणुत्तरसोक्खु । 10 घत्ता- अप्पउ परुत्तारइ जो ण वियारइ सत्थु धम्मु गुरु देउ वि ।
संसारि णिमज्जइ दुक्खें खिज्जइ सुसुहहो मुणइ ण भेउ वि ॥१२॥
(10) 2.a पयट्टइ, 5.a मंतेविण्णु, 12.a असंहतउ, 13.a. explains गंगहि as
___ गंगासमीपे in the margin |
(11) 8.a जेव for जाव ।
(12) 3.a पुण्णो, 4.a मोरवहो, Il.b अप्पउं पत्तरई जे ण वियारई सत्थ,
b देउं 12.b णिमज्जई, b खिज्जई समुहहो मुणई।
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