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________________ ता पभणहि दिय अमुणिय तच्चय तुह गठभासउ वे वि विरुइँ ता खगु भासइ पयडिय अहिं कि इय घट्ठ रोसें कंपिय जंपइ पिसुणिउ जइ तुह जाणहि पुणु तवसि भणइ परभ उ वट्ट तुम्हइ रूसेवि भि उडियणयणहिं विप्पिउ वोल्लिउ तेणासंकमि अहो णिदिय दिय । सुठ्ठ असच्चय । तावसवासउ । जणे अपसिद्ध। समउ पयासइ। तुम्हहँ सस्थहिं । मुणिहि ण झुट्ठउ । पुणु दिय जंपिय । अम्हहि णिसुणिउ । तो वक्खाणहि। को तं ण मुणइ । मगु ण पयट्टइ। महु मउ दूसेवि। णिठ्ठरवयहिं । तुह ण उ मेल्लिउ । भणेवि ण सक्कमि । घत्ता- तहो दियहो परन्तु जे समए ण वियारहि । ते वुद्धिविहीण अप्पाणउ पन्भारहि ॥७॥ (6) 1.a पिउ वरिसइ, b ताम, b पडिवालई, 2.bणियई, bomits ता, a अवरहो धरइ, 3.a वर्षाणि दीक्षत, b पतितं, a पति, cf. अमितगति धर्मपरीक्षा 14:39. 5.a वियाणयेण, ३ ०पवीणयेण, 6.a परियाण वच्छ, 8.b left blank space for चिरु, 9.a तित्थत्त०, a चिरु, b णिज्जरंतु for उवसमंतु, 10.2 ज for जण, il.a मुहु, 12.a तुम्हह । (7) la तो, b पभणहि, a omits दिय, a repeats अहो, b omits दिय, 4.b जण, a अपसिद्धइ, 6.a अत्थहि तुम्हह सत्यहि, 7.b इय झुट्ठइ मुणि हिं घुट्ठई, 9.a जंपइ, b अम्हींह ण सुणिउं, 10.b जागहि, b वक्खाणहि, ll.b भणइं. a omits को तं ण मुणइ 13.b तुम्हहि, 14a ०णयणहि, a ०वयणहि, 15.b वुह for तुह, 16.a भणिउ for भणे वि. 17.b वियारहिं, 18.b अप्पाणउं पत्तारहिं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003672
Book TitleDhammaparikkha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherSanmati Research Institute of Indology Nagpur
Publication Year1990
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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