________________
५. पंचम संधि
(1)
मणवेएँ पुणरवि सहि भणिउ णिसुणि मित्त रुहाइगुण। देवहँ साहारण सव्वु जिह हो इ तं पि तुह करमि पुणु ॥छ।। अणिमा महिमा लहिमा पावइ अप्पा गम्मई सत्तु वि हावइ । कामरूउ वसिया सव्वाण
इय गुण अठ्ठ हुंति देवाण । एयहु अवरु अउव्वउ दीसइ वम्हाइयहु लहिमगुणु सीसइ । जइयहो हरविवाहि कमलासणु जाउ पुरोहिउ हुणियहुयासणु । गरि अणलपासहिं भामंतउ
खुहिउ पाय अंगुट्ठ णियंतउ । ताम तासु मयणाउरचित्तहो सुक्कच्चवणु जाउ अणुरत्तहो। चउरियवालुयउवरि पगलियउ लज्जए सुक्कु पयहि दरमलियउ। तहि अंगुट्ठसमहु गुणवंतहो अट्ठावसिहासहुयपुत्तहो। 10 वालिखील णामहो सुपसिद्धहु रिसि अयत्थि सहियउ तवसिद्धहु । इय तइयहो उक्कोइयमयणे लहिमा गुणु पाविउ चउवयणे । घत्ता- तह गउरिए गिरिक इलासिहरु वुच्चइ णच्चहि दासणु वणु । अइ पिम्मपरब्बसु पहु वि गुणि करइ अजुत्तु वि पियवयणु ॥१॥
(२)
शिश्नच्छेदनकथा
तो णाडयरस उद्दीविउ हरु
चंदकलालंकिउ जडसेहरु । वरकप्पूर धूलि धूलियतणु कुंकुमरसरंजियपुण्णाणणु। वसियरणंजणअंजियलोयणु मयणाहीमयवट्टयमंडणु। णोलणेत्तचलणयरुभासिउ
णरअंगठिविहूसण भूसिउ (1) 1.b सहि भणिउं, 2.a देवह, 3.b पागम्मई, b भावइ, 4.a वसियाब्वाणं,
a होहि for हुति, 5.a एयह, b वंभाइयहं, 6.b • हुवासणु, 7.a •पासहि, a खुहियपायअंगुणियंतउ, 9.a ०वरे for उवरि, a ०पयहि, 10.b अट्ठासीसहासहुयपुत्तहु, 11.5 सहियहु, a सिद्धहो, 12.b उक्कोविय० 13.b तहग्गुरिहे, a कइलासहरु, b दारुवणु, 14.b ०परव्वस ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org