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घत्ता- क वि भासइ कण्णह सूइयउ सूणगल्ल क वि संलवइ । अमुगंतु वि जाम हु महिलयणु णाणावाहिउ अल्लवइ ।।१८॥
(19) वाहिउ केडमि इय जंपतउ
सत्थविज्ज ता तहि संपत्त उ । महिलयणेण ता मुहउ दाविउ पेक्खेवि महु सरीरु तें भाविउ । जुत्तिविहीणु का किर सीसइ । एयहो वाहि मणावि ण दीसइ । तंदुल भायणि खोज्जु णिएविणु थट्ट कवोलजुयलु पेक्खेविणु । ते ण णिउणु लक्खेवि भणिज्जइ तंदुलवाहि एह जाणिज्जइ। एयइ वाहिए ण उ जीविज्जइ ता महु सासुयाए वोलिज्जइ । देमि जमलि तुह पुण्णहि आयहो वाहि पणासहि महु जामायहो । ता महु वे वि गल्ल तें फाडिय रत्तलित्ततंदुल दवखालिय। किमि भणे वि लोयहो साहेविणु तुरिउ विणिग्गउ जमलि लएविणु। महु धुत्तेहिं णामु विरइज्जइ गल्लफोडि लोएँ जाणिज्जइ।
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घत्ता-प्रम चउहि वि पणिउ सुणेवि णायरणर सह जंपइ। तुम्हह मुक्खत्तु विसेसु जइ सइँ अमरगुरु वियप्पइ ।।१९।।
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इय चत्तारि कहियं जे मइ णर अस्थि एत्थु तो कह वि ण साहमि अवरु वि जासु ण लिंगरगहणउ जणरंजणु णाउ य जुयलुल्लउ तो विप्पेहिं वुत्तु पइँ जारिसु जुत्तिजुत्तु मण्णहु मा वीहहि तो खयरेण भणिउ अवहारहि लच्छि वत्थु मणिमउडंकियसिरु हरि सव्वण्हु सव्व जुय संठिउ ता सिरसि हर चडाविय हत्थें
ताह सरिसु जइ एक्कु वि दियवर । सव्वु वि अलिउ भगंतहो वीहमि । चट्टभट्टपोत्थयसंगहणउ । को वि ण वयणु भणइ तहो भल्लउ । भणिउ ण को वि अत्थि इह तारिसु। 5 विहडइ ज ण कि पि तं साहहि । विउणवुद्धि महु वयणु वियारहि । जणु दलिद्ददमणु पय ण य सुरु । अत्थि अहव ण पुराणहि दिट्ठउ । भणिउ दिएण अत्थि परमत्थें। 10
(19) 1.b वाहिउं, 2.b मुहउं, a भासिउ for भाविउ, 3.b जुत्तुविहीगु,
a मणवि, 4.a खोज्ज, b पेच्छेविणु, 5.a एण for एह, 6.a तो for ता, b वोणिज्जइ, 7.a देवि, a पुणहि, a पणासइ जइ जामायहो, 8.b फाडिया, 10.a धुत्तेहि, 11.b चउर्ल्ड मि पणिउं, 12.b मुक्खत्त, a सइ।
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