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________________ ३४ 5 विक्कंतइ पंच दिणार तेण करमेत्तहो एत्तिउ मोल्लु जत्थ मइ पावें खंडिउ काइ वणु इय पच्छुत्तावाणलजलिय उ अवरु वि जो अस्थि उ कयकिलेसु पाविय जा ता चितिउ मणेण । णीसेण वणहो को मुणइ तेत्थु । खंडिउ जइ तो किं दड्ढ पुणु । अप्पापउ सोयइ सो हलिउ । लद्धहो वि ण याणइ गुणविसेमु । घत्ता- सो अमुणियसारासारगइ हलिउ जेम दुःख हो मिलइ। अहवा पुण्णविरहियहो माणुसहो करयलाउ रयणु वि गलइ ।।१०॥ 10 (11) ९. चंदनत्यागी कथा मणिसेहरउ पुगु खेयरउ । तहो वंभणहो कह चंदणहो। पभणेइ सुहा णिसुणेहि वुहा । पयसुहयरिहे महुराउरिहे। उवसंतमणो णि उ संतमणो। तहो गाढयरो हुउ पित्तजरो। ण समेइ जरो हुय दुक्खभरो। कुलमंति तओ कयमंत जओ। पुरि पडहसरं कारवइ अरं। णिव दुक्खयरं जो हरइ जरं। तहो गामसयं आहरण जुयं । जच्छइ णिवरो ता वणियवरो। णइतीरु गओ दिट्ठउ रजओ। धोवंतु जहि चमण वि तहि। गोसीरिसयं मिलियालिसयं। दछु मुणियं वणिणा भणियं । णिवहो सयलं लद्धं समलं । कहि रे रजया तें भणिउ तया । (10) 1.b भणइ, 2.a सइ चेय for सयमेव, 3.b तो for ता, a विक्किणवि जं लहहि, b किणिवि for गणेवि, 4.b विक्कतें, a दीणार, 5.b एत्त उ, bणीसेसय, b गणइं for मुणइ, 6.5 मई, b काइं, a ज्जइ, 7.a पच्छुत्तायावाणल०, b जलिउ, a हालिउ, 8.a inter. वि & ण, b याणइं, 10.b पुण्णुरहियमाणुसहो। 15 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003672
Book TitleDhammaparikkha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherSanmati Research Institute of Indology Nagpur
Publication Year1990
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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