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________________ जा ण दिट्ठो सि ता एत्थ हं आइउ जा जियारी सुएण समालत्तयं अस्थि रम्म तहिं पावअग्गीवए पट्टणे पट्टणे जाव गच्छामहं पाडलीउत्तं णामं पुरं सुदरं ते विउयम्मि मे झिज्जए कायउ। मित्त जं दाहिणं भारहं खेत्तयं । भत्तिए वंदमाणी जिणाणं पए। ताव दिळं मए दिह्रिसोक्खावहं । छंदयं सग्गिणी णाम एयं वरं। 10 धत्ता - जहि चउवेयणि घोसु दियवर विदा उच्चरिउ । __छिप्पइ वडुयसएहि जण्णकम्म उवयरियक ।।१७।। (18) जहिं गंगायडि मुंडियमुंडा हरि हरि हरि उच्चरणसमत्था वंभ सालउवइट्ठपहाणा विण्हपुगणु भयव वक्खाणहि बुजहि के वि तित्थ वइसेसिउ साहिय के वि के वि गहजोइसु पुजिजय गरिहिवत्त आह वणिय अग्गिपरिग्गह दीसहि होत्तिय जत्थ के वि दिय छक्कम्मरय अक्ख मालदालणणियमिय मण धरियकमंडलभिसियतिदंडा । हाहिणि व्व वहु ण्हायपसत्था । वायजप्पवइतंडवियाणा। जण्णविहाणु के वि दिय जाणहि । मीमंसा दियगुरु उवएसिउ । के वि भणति कविलगोयरपसु । दक्खिणरि गहुय णाणाहवणिय । घडवण्णिय णाणाविह सोत्तिय । अण्णे वंभयारि तियविरय । कय कमलासण | कमलासग। 10 घत्ता- तहिं जा मित्त णिए मि इय णाणाविह चोज्जइ । उप्पणाइ सुहाइ तामरुवेय मगोज्जइ ।।१८।। (17) !.a मेत्तं, 2.a ताव, b अवलोइउ, b आलाइ उ, 3.a मेत्तु, b मत्तु, b ताय मेहो मए, 4.a बेल्लिगेहे. 5.a मदेरे मंदिरे, 8.b तहि, 9.b जामि गच्छामि हं । ताम, 10 b वरं for पुरं, ll.b दियवरिद उच्चारहि, 12.a वहुयसएहि, b उवयारिउ। (18) l.a जहि, 2.b omits one हरि, b हायसमत्था, 3.a ० उवइट्ठपहाण, 4.a मणहि for भयव, 5.a मीसंसं, 6.b संहिय, b कपिल मउहं य पसु, 7.b गरिहपत्त, b दक्खिणग्गिहुअ, 8.b दीसहि, 9.a छकम्मरय, b छक्कम्मन्या, 10.b जं before अक्खमाल०, a अक्ख-मालढालणि', b कथक मलासण, Il a तहि, b चोज्जई, 12.b उप्पणाई सुहाई। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003672
Book TitleDhammaparikkha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherSanmati Research Institute of Indology Nagpur
Publication Year1990
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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