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________________ धम्मेण संपूण्णछणयं दवयणाउ उत्तुंग अइपीपीवर - यणालाउ दरपत्रकविव व्व जणजणियलालाउ जायंति पुरिसाण वहुणेहवंताउ धम्मेण सव्वाहं पुज्जा णरा होंति घत्ता - अहवा किं वहुएण जं जं सोहणु दीसइ । तं तं फल धस्स जाणहि केत्तिउ सीसइ ।। १५ ।। (16 तो लहेवि अवसरु स खयरो भइ दियपुरा णत्थि संदिटिठ्उ जिणवरिंदमग्गाणुजाइउ तं सुवि मुणिणा पयंपियं तम्मि णेवि परकयपुराणयं हे उ ण य सुदिट्ठत सोहियं कम्मबंध संसारमोक्खयं करहिता सुमइगुण विलासिणी पत्ता - इय पभणिउ णिसुणेउ वेएँ माणस उ जा विमाणे ण खं खयरो गच्छए तामावि सो झत्ति आलोविउ मित्त 'मुत्तूण मं कत्थतं अच्छिउ कील से तहा कील वावीजलो देव हम्मे वर्ण लोयणामंदिरे पम्फुल्लकंदळे हृदलदीहणयणाउ | भंगुरिय सुसिणिद्ध भसल उलवालाउ । 5 झसइंध रायस्स णं वाणमालाउ । हम्म महिलाउ गुणविणयजुत्ताउ । धम् विणा ते विवयणु वि ण पायंति मुणिण वे वि सिरसिहरकयकरो । मज्झमित्तु अइमिच्छदिठिउ । कह हवेइ सम्मत्त राइउ । कुसुमणयरु देवाण जंपियं । पयडिओ ण अ घडमाणयं । जिणमयं पमाणा विरोहियं । भासिओ ण दियवरसमक्खयं । Tas छंदु एरि विलासिणी । पणवेवि मुणिण हहो । चल्लिउ सम्मुहु गेहो ||१६|| (17) Jain Education International ता विमाणत्थु मित्तं सुहं पेच्छए । वाउण एंतूण आलोविउ । ताय गेहे या सव्व आउच्छिउ । वल्लिगे सरे बाहियालीथले । जोइ पट्टणे मंदिरे मंदिरे | 10 ( 15 ) 1.b जालाहि रम्भाई, b हम्माइ 2b हरिकरिन्हा पवरणर जाण धम्मेण b छत जं पाण, 3. a कुंडलइ, a उज्जलइ 4.b छणइंद०, 5.b भंगुरियसुसणिद्ध, 6 a झसवेंध गयर स णं वालमालाउ, 7a पुरिसस्स, boहवंतर 8 a सव्वाई, b धम्मं, b पावंति, 10 b जाणहिं, a कि किर for त्तिउ, b सीसई । 10 (16) la सो for स, 2. b भणई दियपुराणस्स संठिउ, a oदिट्ठउ 3 b हवेउ सम्मत्तरइउ, 5.b ण अ इअ घडमाणयं, 8a परिसु for एरिसु, 10.a तेयं, a हो । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003672
Book TitleDhammaparikkha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherSanmati Research Institute of Indology Nagpur
Publication Year1990
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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