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23. 'य'श्रुति : जियारि, सीयलु. 4.9; पयासिय, वणियवरो 3 11, सयल . .. 3.11; पयडमि 4.5 . . . . . .. 24. 'वधति : वंघाडि 8.10; भयणीवइ 8.16; लिहाविय 8.17;
। पोमाविय 8.17 25. संप्रसारण : i) य > इ = कोइलतमाल 3.9; कंचाइणी
ii) व > उ = जिणदेउ 9.13, वासुएउ 8.4 व्यञ्जन परिवर्तन और विकारों के उदाहरण क > य = पयडमि 4.5; कुलयर 10.1, सांवय 10.4, रयणायर,
पयासिय, वणियवरो 3.11, सयल 3.11.
क लोप :- सउण, णउल 8.4, कोइल 4.23. आउल > ह - सिहर, सुहु, दुहु, संलिहिय 4.15, रइसुह, 4.15 ग > य = णयर 9.7, सायरमण 4.6, सरायवेणु 4.11, धीयजुयल 10.2, - णायसिरि 11.13, अणुराय
> उ = माणसवेउ घ > ह = मेह. दीहंगो, पुण्णमेहु च > य = वयण 4.10, वियारविमुक्क, खे यह 4.7; सुलोयण 8.13 ज > य = भोयण 9.7, सेसभुयंगो, पोमराय, णियजीविउ ज़ > उ = राउ
..
. ट > ड = घडमाण, पाडलीउत्त 10.13, कुडिलभाव 4.14, तड 4.5, कोडि ठ> ढ = मढ, वीढ
> ल = कील ण - णकार प्रवृति अधिक है । जैसे- ताराहरणु 8.22, पुणु, णाम, तणउ,
. जाणेविणु, आयरेण > य = जियारि, गुणवय, रयणायर, सिय, असिय, सीय 8.10, अजिय 8.14,
. सीयलु 4.9, णियंव 4.16, अणुव्वय 10.14, वेयाल 11.6 त > थ = माणथंभु 8.14 त > ह = भरह 10.5 त > ड = पडिवासुएव 4.1, पडिवमण त > उ = सिक्खावउ = 10.15, कंकालवउ 10.9, विवज्जिउ 4.1, हिउमिउ त लोप = सुगओ 10.11, धणवइ 11.3, पियगुणवइ 11.26, रइसुह 4.15,
__ कोऊहल 2.9, मंथरगइ उ थ > ह = णाहं 4.2, पिहुलरमणे 4.11, अमरपहु 2.16, णरणाह, द > य = सुद्धोयणु 10.10, मंदोयरि 9.17, परयारकहा 4.11, मयणानल
2,19, पायजुयलु 2.12
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