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________________ ६. पन्नास गुम्फा उड़िया भाषा में कटहल को पन्नास कहते हैं। इस गुंफा के समीप पहले पन्नास का वृक्ष रहा होगा, इसलिए इस गुंफा को पन्नास गुफा के नाम से जाना जाता है। यह एक साधारण गुफा है। इसमें एक सादा और लम्बा कमरा है, जो दो ऊँचे घनाकार स्तम्भों पर आधारित है। यह सामने से खुली हुई है। छत खुरदारी है। फर्श खुदा हुआ है, जो गड्ढा नुमा है। उस में तीन प्रवेश द्वार हैं। यह आकर्षण विहीन है। ७. ठाकुराणी गुम्फा इस गुफा में दो प्रकोष्ठ हैं, जो एक दूसरे के ऊपर-नीचे है। उपरी प्रकोष्ठ की अपेक्षा नीचे का प्रकोष्ठ बड़ा है। इसकी उन्नतोदर छत भी ऊँची है। बरामदा में बेंचे बनी हुई हैं। बरामदा को परम्परा से बने स्तम्भ संभाले हुए हैं। इस में दो प्रवेश द्वार हैं आन्तरिक ब्रेक्रेट पर पंख युक्त जानवरों के जोड़े विद्यमान हैं। घनाकार स्तम्भों के सर्वोच्च भाग पर मकर, घोड़े और तोते की सिर तथा पंख वाले जानवर उत्कीर्णित हैं। 1 ऊपर का कमरा नीचे के कमरे की अपेक्षा छोटा है। इसकी छत भी बहुत नीची है। फर्श पीछे से ढालुदार है। कमरे के बाहर घुमावदार बेंच और एक छोटा बरामदा है, जो बन्द है । कमरा दरवाजा विहीन है। इसमें किसी भी प्रकार की कलाकारीगिरी नहीं है। सिर झुका कर इस गुंफा की अन्दर जाया जा सकता हैं। ८. पातालपुरी गुम्फा पातालपुरी गुम्फा में पहले चार प्रकोष्ठ रहे होंगे। पीछे की ओर दो कमरे थे लेकिन उनकी विभाजक दीवाल के गिर जाने से अब यह एक लम्बा प्रकोष्ठ बन गया है। इसमें चार प्रवेश द्वार है। इसकी छत दरारी हुई है। फर्श खुदा हुआ है और ढालुदार है । प्रकोष्ठ की छत धनुषाकार है। इसके पीछे के दीर्घ प्रकोष्ठ के सामने एक बरामदा है। इसकी दायें और बांयें ओर एक-एक कोठी है। दोनो कोठियों के फर्श और छत जीर्ण-शीर्ण है। बरामदा में तीन प्रवेश द्वार हैं । बरामदा की छतको घनाकार स्तम्भ सहारा दिये हुए हैं। स्तम्भों के उच्च और ब्रेकेटों पर पंखदार जानवर उत्कीर्णित है। Jain Education International ८२ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003670
Book TitleUdisa me Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalchand Jain
PublisherJoravarmal Sampatlal Bakliwal
Publication Year2006
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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