SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 78
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ निर्माण हेतु योजनों दूरी से पत्थर लाये गये थे। ई.पू. दूसरी शताब्दी में सम्राट खारवेल द्वारा बनवाई गई इस गुम्फा के निर्माण में तत्कालीन पांच लाख मुद्रायें खर्च हुई थीं। इस दो मंजिला इमारत का निर्माण अर्हतों, पूज्य श्रमणों, यतियों, तपस्वियों आदि के आराम लिए किया गया था। उक्त शिलालेख से यह भी ज्ञात होता है कि पाटल रंग वाले इसके फर्श तथा स्तम्भों में वैडूर्य मणि जड़े हुए होने से सुशोभित थे। वर्तमान में स्तम्भ तो बहुत सुन्दर हैं, लेकिन उनमें वैडूर्य मणि दृष्टि गोचर नहीं होते हैं। गेरूआ रंग से रंगी हुई इस गुफा की इमारत एक बहुत सुन्दर महल, मठ या विहार की तरह प्रतीत होती है जो निम्नाकिंत चित्र से स्पष्ट है । THE THR IPTE भारतमा TOT उक्त सुन्दर और दर्शनीय दो मंजिला भवन तीन दिशाओं से घिरा हुआ है। केवल दक्षिण-पूर्व की ओर से खुला हुआ है। इसके सामने बहुत सुन्दर प्रांगण है। इस प्रांगण के सामने आज कल बहुत सुन्दर लघु उद्यान भी बना दिया गया है। जिसकी हरी मखमली घास और रंग-विरंगे छबीले फूल उक्त भवन की छवि को और भी दुगुणित कर रहे हैं। इस गुफा को देखने से ज्ञात होता है कि इसका निर्माण कुदरती चट्टान से हुआ है। चट्टान को चिकना और बराबर कर खुले भाग की और तिरछा बनाया गया है । प्रचुर मूर्ति कला, चित्रित लताओं, विशाल और सुविधा जनक पार्श्वक, अनेक लघु कोठियों और सामने स्थित विशाल प्रांगण के कारण यह गुफा अपनी समकालीन Jain Education International ६५ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003670
Book TitleUdisa me Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalchand Jain
PublisherJoravarmal Sampatlal Bakliwal
Publication Year2006
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy