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________________ २. कोइसली : बडुसई के समीप में हिजल पेड़ के नीचे स्थित इस स्थान पर क्लोराईट पत्थर की निर्मित बहुत सुन्दर पार्श्वनाथ की मूर्ति है। इन के समीप में एक पट्टी पर कायोत्सर्ग अवस्था में दो छोटे गन्धर्व हैं। बरूडी में बडुसई से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस स्थान पर एक अम्बिका की मूर्ति बरगद के पेड़ के नीचे स्थित है। यह कुताजनी ठाकुरानी के नाम से ग्रामीणों द्वारा पूजी जाती है। रानी बंध (बडुसई से लगभग पांच किलोमीटर दूर) में भगवान् महावीर की एक प्रतिमा है। बड़ जगन्नाथ मंदिर ई.सन्. १५७५ में निर्मित इस मंदिर में पार्श्वनाथ तीर्थकर और त्र-षभनाथ की दो-दो मूर्तियाँ हैं। बारिपदा संग्रहालय में त्र-षभनाथ और चैमुखा प्राप्त हैं। चैमुखा में त्र-षभनाथ, शान्तिनाथ, चन्द्रप्रभ और महावीर की मूर्तियाँ विद्यमान हैं। जो खुन्तपाल ग्राम से प्राप्त हुई हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ ताँवें की नो मूर्तियाँ भी विद्यमान हैं। ७. खुन्टपाल : इ.सन्. १९३५ में यहाँ ताँवें की जो मूर्तियों प्राप्त हुईं थीं उन में तीन त्र-षभनाथ की, तीन पार्श्वनाथ की, दो शांतिनाथ की, एक अम्बिका की और एक ऐसे तीर्थंकर की मूर्ति है जिन्हें पहिचाना नहीं गया है। ८. रवीचिंग : ब्रांच में चार त्र-षभनाथ, सांतिनाथ, पार्श्वनाथ की मूर्तियाँ विद्यमान हैं। इनके अतिरिक्त कुछ और ऐसे तीर्थंकरों की मूर्तियाँ है जिन में चिन्ह न होने के कारण उन्हें पहिचाना असम्भव हैं। कुछ मूर्तियाँ भग्म भी हैं। ये सभी मूर्तियाँ बिभीन्न स्थानों से संगृहीत की गई हैं। बेनु सागर भजगाँव से लगभग १२ किलोमीटर दूर और खीचिंग के बिल्कुल सनिकट है। यहाँ अनेक प्राचीनतम जैन मंदिर हैं। उन में से अधिकांश में तीर्थकर कमर तक जमीन के अंदर हैं। १०. बारीपदा के जगन्नाथ मंदिर में तीर्थंकर त्र-षभनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ और महावीर की खड्गासन तथा कायोत्सर्ग रूप में दिवालों पर दृढ़ता पूर्वक स्थाई रूप से स्थापित की गई दृष्टिगोचर होती हैं। . For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003670
Book TitleUdisa me Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalchand Jain
PublisherJoravarmal Sampatlal Bakliwal
Publication Year2006
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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