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दाहिनी ओर सर्वप्रथम पार्शनाथ भगबान् की कार्यत्सर्ग रूप में खड़ी प्रतिमा बांदामी रंग के पाषाण से निर्मित है । ७ फण बाला सर्प मस्तक पर फण फैलाये हुए है। चंवर धारी नीचे खड़े हुए हैं। उनके बगल में त्र- षमदेव की मुकट धारण से हुए एक मूर्ति है। इस मंदिर ४ मुकुट युक्त आदिनाथ की और एक पार्श्वनाथ की इस प्रकार कुल ५ मूर्तियां हैं । इस मंदिर की सभी मूर्तियाँ दिगम्बर आम्नाए की हैं।
खंडगिरि उदयगिरि अतिशय तीर्थ क्षेत्र के रूप में विख्यात है। आचार्य कुन्दकुन्द के मतानुसार यशोधर राजा के पांचसौ पुत्रों और एक करोण मुनियों ने यहाँ से निर्वाण प्राप्त किया था। निर्वाण भक्ति की गाथा में आचार्य कुन्द कुन्द ने कहा भी है।
जसहररायस्स सुआ पंचसया कलिंगदेसम्म । कोडसिला कोडिणी णिव्वाणगया णमो तेसिं । ।
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