________________
पुष्प वृष्टि, प्रभामंडल और चौसठ चमरयुक्तता। खंडगिरि और उदयगिरि की गुफाओं में अष्ट प्रातिहारों में से एकाधिक को प्रकट किया गया है। लेकिन बारह भुजी गुंफा, महावीर गुंफा, अम्बिका गुफा आदि में उत्कीर्णित तीर्थंकरों के अगल बगल में अष्ट प्रतिहारों को उत्कीर्णित किया गया है। अहिंसा की प्रधानताः
अहिंसा जैनधर्म का मूलाधार है। इस धर्म में एकेन्द्रिय जीवों, पृथवी, जल, अग्नि, वायु और वनस्पति रूप पांच स्थावरों को और दो इन्द्रिय जीवों से लेकर पांच इन्द्रिय तक के जीवों को चित्रित किया गया है। इस से हिंसा का निरोध किया गया है। हिंसा न्हीं करना अंहिसा है दूसरे शब्दों में जीवों का संरक्षण करने का उपदेश दिया गया है। खंडगिरि और उदयगिरि में फल, फूल, लता, पेड-पौधे आदि वनस्पति को उत्कीर्णित कर उनके संरक्षण की प्रेरणा दी गई है। प्राय: सभी गुंफाओं में उन्हें प्रदर्शित कर केवल गुंफाओं को अलंकृत नहीं किया गया है, बल्कि उस में अहिंसा की भावना निहतार्थ है। इसी प्रकार तोता पांडुक आदि पक्षियों, सिंह, बैल, हिरन, सर्प, बंदर, हाथी, बाघ आदि जानवरों को चित्रित कर इनके संरक्षण एवं संवर्धन की प्रेरणा दे कर अहिंसा का प्रचार किया गया प्रतीत होता है।
उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है की उक्त पहाड़ियों में जैनधर्म - संस्कृति को पर्याप्त रूप में प्रस्तुत किया गया है।
११९
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org