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________________ समता संयम और श्रम की साधना को अपने में समेटे हुए श्रमण धर्म सुदीर्घ काल से इस देश के जन-जीवन को अनुप्राणित किये हुए है । प्रादि देव ऋषभदेव से लेकर भगवान महावीर तक के तीर्थकर उपदेश जीवन की साधना द्वारा जांचे-परखे हैं । जैनधर्म के जो जीवन-मूल्य प्रतिष्ठित हुए वे वैचारिक उदारता, समता, अहिंसा, अपदिग्रह, स्वाध्याय स्वाधीनता, पुरुषार्थ आदि के नाम से विख्यात हैं । उनके सम्बन्ध में ललित शैली में प्रामाणिक रूप से प्रकाश डालली है। यह पुस्तक । 'जैन धर्म और जीवन-मूल्य' नामक प्रस्तुत कृति डा. प्रेम सुमन जैन द्वारा प्रणीत विभिन्न शोष-पूर्ण एवं चिन्तनप्रधान लेखों का एक गुलदस्ता है, जिसकी महक वर्तमान सन्दर्भ में भी उपादेय और पर्यावरण को ताजगी प्रदान करने वाली है। यह पुस्तक प्रथम पुष्प है लेखक के प्रस्तावित ग्रन्थ-चतुष्टय गुच्छक का, जो शीघ्र प्रकाश्य है। मूल्य। 90.00 Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only Ramaya
SR No.003669
Book TitleJain Dharm aur Jivan Mulya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherSanghi Prakashan Jaipur
Publication Year1990
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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