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जैन धर्म और जीवन-मूल्य
71.
हिस्ट्री आफ इण्डियन ईस्टर्न प्रावि टेक्चर, I, पुन मुंद्रित, 1967, दिल्ली पृ० 60 अशोक कुमार भट्टाचार्य, जनकला एवं पुरातत्व, भाग 2 अध्याय 28,
पृ० 362 66. महाराणा कुम्भा, पृ० 265 67. पं० नीरज जैन, चित्तौड़-दर्शन
सोमानी, वीरभूमि चित्तौड़, पृ० 119
असावा, 15 वीं शताब्दी का मेवाड़, पृ० 167-168 70. महाराणा कुम्भा, पृ० 282-83
अर्बुदाचल प्राचीन जैनलेख-सन्दोह, भाग 2, पृ० 173 72. असावा, वही, पृ. 168 73. द्रष्टव्य : (क) सोमसौभाग्य काव्य, सर्ग 9, श्लोक 49-54
(ख) जयकुमार जैन, कला मन्दिर राणकपुर (ग) आर. पी. भटनागर, राणकपुर-दर्शन ।
(घ) जैनकला एवं पुरातत्व, भाग 2, अध्याय 28 74. महाराणा कुम्भा (सोमानी), पृ. 272 75. के० सी० जैन, जैनिज्म इन राजस्थान, पृ० 30-31 76. वही, पृ. 135 77. 'पन्द्रहवीं शती की मेवाड़ में चित्रित एक विशिष्ट प्रति' शोधपत्रिका, वर्ष
5, अक 2, पृ. 58 78. सत्यप्रकाश, 'राजस्थान में चित्रकला का क्रमिक विकास' राजस्थान भारती,
वर्ष 8, अंक 1 79. ग्रन्थ प्रशस्ति के लिए देखें-राजस्थान भारती, भाग 8, अंक 1 80. प्राचार्य श्री विजयवल्लभसरि स्मारक गन्थ में इस ग्रन्थ का विस्तार से
परिचय दिया गया है। 81. मूल प्रति बोस्टन संग्रहालय (अमेरिका) में संगहीत है।
सोमसौभाग्य काव्य (गुजराती अनुवाद), पृ. 83 83. रामवल्लभ सोमानी, जैन इन्स्क्रिप्सन्स इन राजस्थान, पृ. 202
वही, पृ. 203-205 बलवन्तसिंह मेहता, 'मेवाड़ और जैनधर्म' नामक लेख, अम्बागुरू अभिनन्दन ग्रन्थ पृ. 108-109
82.
सोम
84. 85.
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