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________________ परिशिष्ट १७५. ६. कदा कर्म धक्को दीधो टोला सूं टलै तो उण रे टाला रा साध साध्वियां रा अंश मात्र हुंता अहंता अवरण बाद बोलवारा अनेत सिद्धांरी ने पांचू पदा री आण है। पांचू पदारी साख सू पचखाण छ । १०. किण ही साधु साध्वियांरी शंका परे ज्यूं बोलण रा पच्चखाण है । साधारण नीति-कदा उविट्ठल होय सूंसो भोगे तो हनुकर्मी न्यायवादी तो न माने उण सखो विट्ठल माने तो लेखा में नहीं । ११. हिवे किण ही ने छोडणो मेंलणो, किण ही चर्चा बोल रो काम परे तो बुधमान साध विचार ने करणो । बले सरधा रो बोल पिण बुधवंत हुवे ते विचार ने बेसा । कोई बोल न बेसे तो ताण करणी नहीं । केवल्या ने भोलावणी पिण खंच अंश मात्र करणी नहीं । १२. किण ने किम धक्को देवे तँ टोलास्यूं न्यारो पर अथवा आप ही टोला सं न्यारो हुवै तो इण सरधाराभाई बाई हुवै तिहां रहणों नहीं, एक भाई बाई हुवै तिहों रहण नहीं । बाटे बहतां एक रात कारण पड्या रहे तो पांचु विगे ने सूंखड़ी खावा रा त्याग छै । अनेता सिद्धां री साख करने छ । १३. बले टोला मांही उपकरण करे ते, पाना पत्र लिखे ते, टोला मोही थकां पड़त पाना पात्रादिक सर्व वस्तु जांचे तो साथ ले जावण रा त्याग है। एक बोदो चोल पट्टो, मुंह पति, एक बोदी पछेवड़ी खंडिया उपरान्त बोदो रजोहरण उपरान्त साथ ले जावेण नहीं उपकरण सर्व टोला रे ने श्राप साधां रे छं और अंश मात्र साथ ले जावण रा पच्चखाण छँ, अनेता सिद्धां री साख करने छ । वले कोई याद आवे तो लिखणो तिण रो पिण नो कहण रा त्याग छ । सर्व कबूल छ । चेतावनी सर्व साधां रा परिणाम जोय ने रजामन्द कराय कर यो करने सूं जुदो कहवाम ने मरजादा बांधी छँ । जिण रा परिणाम चोखा हुवे ते आ मर्याद ने सूंस आरे होईज्यो । कोई शरमा शरमी रो काम छँ नहीं । मुंडे और ने मन में और इम तो साधु ने करणो छँ नहीं, इण लिखत में खूजणो काढणो नहीं । पाछे और रा और बोलणो नहीं । अनन्ता सिद्धांरी साख करने सारां रे पच्च्चखाण है । पच्चखाण भांगण रा अनन्ता सिद्धांरी साख सू पच्चखाण है । किण ही टोला मांहि अनेरा किण ही टोला मांहि जावा रा पच्चखाण छ । मर खापणी पिण सूंस न भांगणो । ओ एहवो लिखत लिखतु ऋष भीखण रो छँ । संवत् १६५६ रा माघ सुदि ७ शनिवार | Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003668
Book TitleHe Prabho Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSohanraj Kothari
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1989
Total Pages206
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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