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उपाध्याय श्रीसोहनविजयजी (पंजाबी स्था० साधु वसन्तामलजी)
आप श्री का जन्म वि० सं० १९३८ की साल में काश्मीर की प्रसिद्ध राजधानी जम्मूमें निहालचंद सेठ की उत्तमा देवी की कुक्षी से हुआ।आपका नाम वसन्तामल था। पंजाब के स्थानकवासी साधु गंडेरायजी के पास श्राप २२ वर्ष की युवक वय में अर्थात वि० सं० १९६० के भाद्रपद शुक्ल १३ को ( चातुर्मास में ) स्थानकवासी दीक्षा ग्रहण की पर आप जिस शान्ति और श्रात्मोद्धार को चाहते थे वह आपको वहां नहीं मिला। इस हालत में आपकी प्राचार्य श्रीविजयवल्लभसुरिजी ( उस समय के मुनिश्री वल्लम विजयजी म०) से भेंट हुई और आप की आज्ञानुसार मुनिश्री ललितविजयजी म. के पास संवेगी दीक्षा स्वीकार की और आपका नाम मुनि सोहनविजयजी रखा। क्रमशः
आपने अच्छो विद्वता हासिल कर उपाध्याय पद को सुशोमित कर धर्म का अच्छा प्रचार किया। आपका जीवन धर्म वीरता से ओतप्रोत था।
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