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। पूज्यपाद गणिवर मुक्तिविजयजी महाराज ।
(पंजाबी साधुमार्गी साधु मूलचन्दजी)
आप श्री का जन्म भी पंजाब की वोर प्रसविनी भूमि के सियालकोट शहर में ओसवाल वंश भूषण सुखसा को है धर्मपत्नी बकोरबाई की पवित्र कुक्षि से वि. सं. १८८६ में
हुआ था। आपने वि. सं. १९०२ में स्वामी बूंटेरायजी के पास साधुमार्गी दीक्षा ली। शास्त्रों का अध्ययन करने के बाद वि. सं. १९१२ में महात्मा बूटेरायजी के साथ दादा मणिविजयजी गणि के पास संवेगी दीक्षा स्वीकार कर जैनधर्म की खूब उन्नति की।
आपकी सन्तान परम्परा में आज भी ४ प्राचार्य और है ६ ५२ साधु एवं सैकड़ों साध्यिवाँ विद्यमान हैं।
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