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________________ प्रकरण बावीसवां क्या स्थानकमार्गी लौंकाशाह के अनुयायी हैं ? कितनेक स्थानकमार्गी भाई अपने को लौकाशाह के • अनुयायी होने का दम भरते हैं, परंतु लौकाशाह के सिद्धान्त एवं आचार व्यवहार का वे पालन नहीं करते हैं। उनके आचार, व्यवहार और स्थानकमार्गियों के प्राचार व्यवहार में जमीन आसमान सा अन्तर है। लौकाशाह के खास अनुयायी, स्थानकमार्गियों को निन्हव, और उत्सूत्र प्ररूपक समझते हैं, और स्थानकमार्गियों के आदि पुरुष लवजी आदि लौंकाशाह के अनुयायियों को भ्रष्टाचारी, शिथिलाचारी और मिथ्यात्वी समझते थे । स्थानकमार्गियों के श्रादि पुरुष धर्मसिंहजी को लौकागच्छ वालों ने अपने गच्छ के बाहिर कर दिया था। प्रमाण अधोलिखित उद्धृत है: "संवत् सोलह पचासिए, अहमदाबाद मंझार । शिवजी गुरु को छोड़ के, धर्मसिंह हुआ गच्छ बहार ॥ ऐति० नोध पृष्ठ ११७ दुसरा आदि पुरुष यति लवजी, जो लौंकागच्छीय यति बजरंगजी का शिष्य था उसने गुरु को छोड़ कर मुँह पर डोरा डाल, मुँहपत्ती बाँध के गुरु आज्ञा को भंग कर अपना अलग Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org
SR No.003664
Book TitleShreeman Lonkashah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherShri Ratna Prabhakar Gyan Pushpmala Phalodhi
Publication Year1937
Total Pages416
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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