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भाइयों का दिल दुखावे यह बर्दाश्त कैसे हो सकता है ? जैसे कि श्राप श्रीमान् एक जगह लिखते हैं कि :--- ____ "जैन शासन मां श्रे विकार ठेठ जम्बूस्वामी थी मांडी ने श्रीमान् लौकाशाह ना काल मुधी पारंपर्येण केवो, केटला प्रमाणमां, अने केवी रीते वध्योज गयो छे"
. जैन प्रकाश ता. ५-६-३५ पृष्ट ३६६ जगप्रसिद्ध महान प्रभाविक प्रकाण्ड विद्वान जैनाचार्य श्री हरिभद्रसूरि के विषय में लिख दिया है कि:. "तेमना साहित्य नो ज्योति मा क्रान्ति नी चमत्कारिता नजरे पड़े परन्तु तेम छता कोण जाणे शा थी तेश्रो एक महान् शक्तिशाली होवा छतां पोता ना दीर्घ जीवन काल मां पण क्रान्ति ने व्यापक बनावी शक्या नथी ने श्रे घोषणा नी ज्योति मात्र तेना साहित्य क्षेत्र मांज प्रगटी अने बुझाइ गई छे । श्रा उणाप तेम ना जेवा समर्थ आत्मा ने माटे असह्य अने अक्षम्य जेवी छे ते आपण ने उढाण थी विचारतां स्वयं जणाइ आवे छे ।"
जैन प्रकाश ता० १९-५-३६ पृष्ट ३२१ xxx
"-वेना मानस मां श्रेक फणगो के जेह ने प्रस्तुत चरित्रनायक श्रीमान् लौंकाशाह ज विकसावी शक्याविस्तारी शक्या अने भगवान् महावीर पछी धार्मिक क्रान्तिना उत्तराधिकारी तरी के जग मां प्रसिद्ध थवा
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