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शान्त सुधारस प्रवचन : ४
। सकलना
* श्रोता : पवित्र मनवाले * बारह भावनाएँ हृदयस्थ करें ।
मोहमूढ़ता के दुष्परिणाम - अनित्य को नित्य मानना - अशरण होते हुए निर्भय मानना - आत्मतत्त्व का अज्ञान - परचिंता - शरीर की अपवित्रता नहीं देखना - आश्रवों से अज्ञात - संवर का अज्ञान - निर्जरा से अनभिज्ञ - धर्म के प्रति उदासीनता - १४ राजलोक का चिंतन नहीं
- बोधि की अप्राप्ति * एक डाकू की कहानी : सच्ची घटना
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