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प्रकाशकीय
__ पिछले ३५ बरसों से अनवरत गुजराती – हिन्दी - अंग्रेजी साहित्य का प्रकाशन करती संस्था श्री विश्वकल्याण प्रकाशन ट्रस्ट का नाम, आचार्यदेवश्री विजय भद्रगुप्तसूरीश्वरजी महाराज साहब के साहित्य सर्जन के साथ-साथ काफी लोकप्रिय बनता चला है । दीर्घ कथाएँ, कथाएँ, प्रवचन, पत्रसाहित्य, तत्त्वज्ञान-विवेचना, बच्चों के लिए विविध साहित्य, गीत-काव्य साहित्य इत्यादि एक के बाद एक समृद्ध प्रकाशन जनसमूह में पहुंचे हैं... समादर पाये हैं... और लोग उसे चाव से पढ़ते
हमारी सहयोगी संस्था अरिहंत प्रकाशन के माध्यम से प्रति माह अरिहंत (हिन्दी मासिक पत्र) के द्वारा पूज्य आचार्यदेव का नित्य नूतन साहित्य विशाल पाठक-वर्ग तक पहुँचता है ! वह सारा साहित्य पुस्तक रूप में संकलित होकर ट्रस्ट के द्वारा प्रकाशित होता है और आजीवन सदस्यों को व अन्य पाठकों तक नियमित पहुँचता है ! __पूज्य गुरुदेव का प्रवचन साहित्य, सविशेष तौर पर साधु-साध्वीजी म. में अत्यंत लोकप्रिय हुआ है । शान्तसुधारसं ग्रंथ पर पूज्य गुरुदेव ने जो प्रवचन किये-लिखे... वे आज शब्दस्थ होकर पुस्तक रूप में आप तक पहुँच रहे हैं ।।
इन प्रवचनों का पुनः पुनः स्वाध्याय अवश्यमेव आपके चित्त को तुष्टि-संतुष्टि एवं समता प्रदान करेगा। आधि-व्याधि और उपाधि के जंगल से इस जगत में रहकर भी समत्व की साधना करनेवालों को योगी बनने में यह शान्तसुधारस अत्यंत उपयोगी होगा ।
ट्रस्टीगण श्री वि.क. प्र. ट्रस्ट
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