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________________ मोह-विष के प्रभाव : मोह-विष के प्रभाव...मोह-विषाद से उत्पन्न विषैले प्रभावों को जानते हो ? कुछ तीव्र वासनाएँ मन में उत्पन्न होती हैं । - धन-संपत्ति की वासना, -- पत्नी-पुत्रादि की वासना, - यशःकीर्ति की वासना, - शरीर आरोग्य की वासना... ये वासनाएँ मन को सुख-शान्ति का अनुभव नहीं करने देती हैं। इन वासनाओं में से एक भी वासना मन में जगती है, तीव्र-तीव्रतर बनती है, तब मनुष्य को, जीवात्मा को अशान्त-बेचैन कर देती है । हम मध्यस्थ दृष्टि से संसार को देखें, तो यह बात स्पष्ट रूप से समझ में आ जायेगी। ___ - एक भाई का शरीर निरोगी है, सुशील पत्नी है, समाज में मान है; परंतु धन-संपत्ति नहीं है । मैंने उसको दुःखी देखा है । - एक भाई धनवान है, शरीर निरोगी है, पत्नी है, यश है; परंतु संतान नहीं है, पुत्र नहीं है, मैंने उसको दुःखी पाया है । ___- एक भाई संपत्तिशाली है, पत्नी है, पुत्र है, शरीर अच्छा है; परंतु यश नहीं है, कीर्ति नहीं है, वह अपने आपको दुःखी समझता है । ___- एक भाई के पास धन-संपत्ति है, पत्नी-पुत्र है, यश है; परंतु शरीर रोगों से भरा हुआ है, वे अपने को दुःखी समझते हैं ! ये सारी वासनाएँ, मोह-विष में से उत्पन्न होती हैं । उन वासनाओं की पूर्ति करने के लिए मनुष्य सदैव प्रयत्नशील रहता है । अज्ञान से घिरा हुआ वह मनुष्य जानता नहीं है कि ये सारी वासनाएँ पुण्यकर्म के उदय से ही पूर्ण होती हैं ! अज्ञानता मनुष्य को गलत रास्ते पर भटका देती है । वासनाओं की पूर्ति करने में अशान्ति : इन वासनाओं की, इच्छाओं की पूर्ति करने के लिए संसार के भ्रान्त जीव कैसे-कैसे गलत काम करते हैं, जानते हो न ? धन-संपत्ति की वासना : धन-संपत्ति प्राप्त करने अनीति, अन्याय, बेईमानी...तो करते ही हैं, पापमय शान्त सुधारस : भाग १ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003661
Book TitleShant Sudharas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherVishvakalyan Prakashan Trust Mehsana
Publication Year
Total Pages302
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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