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शान्त सुधारस
प्रवचन : २० संसार भावना – ४
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: संकलना : पापत्याग का पुरुषार्थ करें । मोहमदिरा से बुद्धिभ्रष्टता । महाकाल जादूगर है। जिनवचनों का सच्चा सहारा । गर्दभाली मुनि और संजय राजा । जिनवचनों पर थोड़ा चिंतन करें । अभयदाता बनें। यह जीवलोक अनित्य है । सबकुछ छोड़कर जाना है । स्वजन साथ नहीं चलेंगे । मृत्यु के बाद सारे रिश्ते समाप्त । मृत्यु का शोक अल्पकालीन ।
शुभाशुभ कर्म ही साथ चलते हैं । . निमित्त और उपादान ।
धर्मक्रिया करनेवाले सावधान !
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