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शान्त सुधारस प्रवचन : १६ अशरणभावना : ४
: संकलना :
. दुःखों का मूल : ममत्व ।
संभूत मर कर ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती ।
पूर्वजन्म के भाता--मुनि का मिलन । • ब्रह्मदत्त अंधा, मृत्यु, ७वीं नरक में ।
श्रेष्ठ शरणभूत चार तत्त्व । श्रद्धावान निर्भय होता है । नलराजा की रानी दमयंती । अभय-अद्वेष-अखेद । दुःखों में भी स्थिर मन से धर्मआराधना का रहस्य । शान्तसुधा का पान करें । शान्तसुधा यानी मोक्षसुख । शरणागति का भाव दृढ़ करें । उपसंहार ।
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