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१२ राय धनपतसिंघ बदाउरका जैनागमसंग्रह नाग तेतालीस-(४३)-मा. असच्चमोसं सच्चं च, अणवक्रमकक्कसं ॥ समुप्पेहमसंदि, गिरं नासिङ पन्नवं ॥ ३ ॥ एरं च अच्मन्नं वा, जं तु नामे सासयं ॥ स नासं सच्चमोसं च, तं पि धीरो विवाए ॥४॥ वितहं पि तहामुत्तिं, जं गिरं नासए नरो ॥ तम्हा सो पुणे पावणं, किं पुणं जो मुसं वए ॥ ५॥ तम्हा गलामो वरकामो, अमुगं वा णे नविस्स ॥ अहं वा णं करिस्सामि, एसो वाणं करिस्सश् ॥६॥ एवमाश् उ जा नासा, एसकालंमि संकिया ॥ संपयाश्चम वा, तं पि धीरो विवजाए ॥ ७ ॥ अश्मि अ कालंमि, पञ्चुपणमणागए ॥ जमलं तु न जाणिजा, एवमेकं ति नो वए॥७॥ अश्वंमि अ कालंमि, पञ्चुप्पणमणागए ॥ जत्थ संका नवे तं तु, एवमेअंति नो वए ॥ ए॥ अश्यंमि अ कालंमि, पच्चुप्पणमणागए ॥ निस्संकि नवे जं तु, एवमेअं तु निदिसे ॥१०॥
व फरसा नासा, गुरुनूनवधाणी ॥ सच्चा वि सा न वत्तवा, जले पावस्स आगमो ॥११॥ तहेव काणं काण त्ति, पंडगं पंडग त्तिवा ॥ वाहिथं वा वि रोगित्ति, तेणं चोरत्ति नो वए ॥ १ ॥ एएणन्नेण अणं, परो जेणुवहम्म ॥ आयारनावदोसन्नू, न तं नासिङ
पन्नवं॥१३॥ तहेव होले गोलित्ति, साणे वा वसुलित्ति अ॥ उम्मए उहए वा वि, नेवं नासिका पन्नवं ॥ १४ ॥ अजिए पक्जिए वा वि, अम्मो मानसिअत्ति अ॥ पिसिए नायणिजत्ति, धूए णत्तुणि त्ति अ ॥१५॥ हले हलित्ति अन्नित्ति, नट्टे सामिणि गोमिय॥होले गोले वसुलित्ति, शव नेवमालवे ॥१६॥ नामधिजोण णं बूआ, श्वीगुत्तेण वा पुणो ॥ जहारिहम निगिलं, बालविङ लविङ वा ॥ १७॥ अजए पऊए वा वि, बप्पो चुम्लपिल त्ति अ॥ माजला लाइणिज त्ति, पुत्ते णतुणि त्ति अ॥१०॥ हेलो हलित्ति अन्नित्ति, जट्टे सामिश्र गोमित्र ॥ होल गोल वसुलि त्ति, पुरिसं नेव मालवे ॥१५॥ नामधिजोण जं बूआ, पुरिसगुत्तेण वा पुणो ॥ जहारिहम निगिन, बालविङ लविङ वा ॥ २० ॥ पंचिंदिआण पाणाणं, एस इत्थी अयं पुमं ॥ जाव णं न विजाणिजा, ताव जाइ त्ति आलवे ॥२१॥ तहेव माणसुं पसुं, परिकं वा वि सरीसवं ॥ श्रूले पमेश्ले वने, पायमित्ति अ नो वए ॥ २२॥ परिवूढ त्ति णं बूआ, बूआ उवचित्र त्ति अ॥ संजाए पीणिए वा वि, महाकाय त्ति आलवे ॥२३॥ तहेव गाउँ जाउँ, दम्मा गोरहग त्ति अ॥ वाहिमा रहजोगित्ति, नेवं जासिक पन्नवं ॥२४॥ जीवं गवित्ति णं बूआ, धेणुं रसदयत्ति अ॥ रहस्से महबए वा वि, वए संवहणित्ति आ ॥ २५ ॥ तहेव गंतुमुजाणं, पबयाणि वणाणि अ॥ रुरका महा पेहाए, नेवं नासिङ पन्नवं ॥२६॥ अलं पासायखंनाणं, तोरणाणि गिहाणि अ॥ फलिहग्गलनावाणं, अलं उदगदोणिणं ॥ ७॥ पीढए चंगबेरे अ, नंगले मश्यं सिया ॥ जंतलची व नाली वा, गंमिश्रा व अलं सिया ॥ २ ॥
आसणं सयणं जाणं, हुजा वा किंचुवस्सए ॥ नूवघाणिं जासं, नेवं नासिक पन्नवं ॥२॥ तहेव गंतुमुजाणं, पबयाणि वणाणि अ॥ रुरका महब पेहाए, एवं नासिङ पन्नवं ॥ ३० ॥ जाश्मंता इमे रुरका, दीहवट्टा महालया ॥ पयायसाला वमिमा, वए दरिसणित्ति अ॥३१॥ तहा फलाइं पक्काई, पायखजाइ नो वए ॥ वेलोश्याइं टालाइं, वेहिमा त्ति नो वए ॥ ३॥ असंथमा इमे अंबा, बहुनिघडिमा फला ॥ वजा बहु संत्रा, नूअरूव त्ति वा पुणो ॥ ३३ ॥ तहेवोसहि पक्का, नीलिया बवी अ॥ लाइमा नझिमाज त्ति, पिहुखऊ त्ति नो वए ॥ ३४ ॥ रूढा बहुसंजूआ, थिरा उसढा वि अ॥ गप्निा पसूआर्ड, संसाराज त्ति आलवे ॥३५॥ तहेव संखडि नच्चा, किच्चं कळं ति नो वए ॥प्रेणगं वावि वनित्ति, सुतिवित्ति अ आवगा ॥ ३६॥ संखमि संखडिं बूझा, पणिअत्ति तेणगं ॥ बहुसमाणि तित्थाणि, आवगाणं विआगरे ॥ ३७॥ तहा नश्ल पुघाउ, कायतिज त्ति नो वए ॥ नावाहिं तारिमाउत्ति, पाणिपिऊ त्ति नो वए ॥३०॥
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