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जैन शास्त्रों की असंगत बातें !
८ जून को, और सन् २०१२, २११२ तथा २१२५ में होगा । शुक्र जब पृथ्वी के निकट आ जाता है तो बड़ा और जब दूर चला जाता है तो छोटा दिखाई पड़ता है । जब शुक्र हमारी पृथ्वी के और सूर्य के बीच में आ जाता है तब लगभग २ करोड़ मील की दूरी पर रहता है, मगर सूर्य से इसकी औसतन दूरी करीब ६७५००००० मील की है ।
पृथ्वी
शुक्र के पश्चात् सूर्य से तीसरी कक्षा पृथ्वी की है। पृथ्वी भी ग्रह है, इसलिये ग्रहों के वर्णन के सिलसिले में इसका भी कुछ वर्णन करना उचित होगा। पृथ्वी का व्यास ७६२६३ मील और परिधि लगभग २४८५६ मील की है। पृथ्वी से सूर्य लगभग ६२६६५००० मील की दूरी पर है। यह तो कहा ही जा चुका है कि सब ग्रह सूर्य के चौगिर्द दीर्घ वृत्त में घूमते हैं, अतः घुमाव के अनुसार इनकी दूरी महत्तम और न्यूनतम होती रहती है। पृथ्वी की मुख्य दो प्रकार की गतियाँ हैं, अक्ष- भ्रमण और परिक्रमण । अक्ष-भ्रमण करते पृथ्वी को एक दफा में २४ घंटे लगते हैं और सूर्य की परिक्रमा करते ३६५ दिन लगते हैं। पृथ्वी की कक्षा ५८४६००००० मील की हैं, जिसका पृथ्वी ६६६०० मील प्रति घंटे और १८३ मील प्रति सेकेण्ड की गति से परिक्रमण करती है । अक्ष-भ्रमण की गति एक मिनिट में १७६ मील की है। अक्ष-भ्रमण और परिक्रमण के अलावा पृथ्वी की १० सूक्ष्म गतियाँ और मानी गई हैं, जिनका विवेचन यहां स्थानाभाव से
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