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जैन शास्त्रों की असंगत बातें !
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चंद्रमा है ( जिस का वर्णन पिछले लेख में किया जा चुका है ) वृहस्पति के ६ उपग्रह हैं, शनिके १० हैं, मंगल के २ हैं, युरेनस के ४ हैं, और नेपच्यून का एक उपग्रह है। इन ग्रहों का कुछ अलहदा अलहदा वर्णन मैं अगले लेख में करूंगा।
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'तरुण जैन' दिसम्बर सन् १९४१ ई०
बुध बुध गेन्द की तरह एक गोल पिण्ड है, जो सब ग्रहों से सूर्य के ज्यादा निकट है। बुध सूर्य से लगभग ३६२१०००० मील की दूरी पर है, जिसका ब्यास ३०३० मील का हैं। सूर्य का प्रकाश और ताप, दोनों ही बुध पर अति प्रचण्ड रूप से पड़ते हैं, मगर सानिध्य के कारण हमें दिखाई देने में सुगमता नहीं होती। दिन में सूर्य के तेज के सामने उसका पृष्ठ छिपा रहता है। प्रातःकाल सूर्योदय के पहले और सायंकाल सूर्यास्त के पश्चात्, केबल थोड़ी सी देर तक देखा जा सकता है। हमारी पृथ्वी पर से बुध पर भी चन्द्रमा की तरह कलाएँ घटती वढ़ती दिखाई पड़ती हैं। धबु को हम उसी समय देख सकते हैं, जब वह और सूर्य लम्ब दिशाओं में हों। बुध का अक्ष-भ्रमण और परिक्रमण काल बराबर है, इसलिये इसका एक ही पृष्ठ सदा सूर्य के सन्मुख रहता
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