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जैन शास्त्रों की असंगत बातें !
गुणा भारी है। सूर्य पिन्ड पर गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी की अपेक्षा ३० गुणा ज्यादा है यानी यहां पर जो चीज एक मन वजन की होगी वह वहां पर ३० मन की होगी। प्रत्येक वस्तु का वजन वहां के गुरुत्वाकर्षण पर निर्भर करता है। सूर्य का तापक्रम ६००० centigrade degree का हैं और उसके प्रत्येक वर्ग सेन्टी मीटर (एक इञ्च के २४५ सेन्टीमीटर होते है) से करीब ५०००० candle power का तथा सर्व पिन्ड से प्रतिक्षण १५७५०००, ०००,०००,०००,०००,००० Candle power का प्रकाश निकल रहा है। सूर्य भी अपनी धुरी (Axis) पर घूमता है जिसको हमारे हिसाब से २७१ दिन एक दफा में लग जाते हैं। सूर्य के लपकती हुई ज्वालायें लाखों मील दूरी तक बाहर जाती है जो पूर्ण ग्रहण के समय दूरदर्शक यन्त्रों द्वारा स्पष्ट दिखाई देती है। जब पूर्ण ग्रहण होता है तब सूर्य का प्रभामण्डल (Corona) बीस-पचीस लाख मील तक बाहर चौगिर्द दिखाई पड़ता है। सूर्य का जब पूर्ण ग्रहण होता है तो हमारी पृथ्वी पर केवल १८५ मील के घेरे में दिखाई पड़ता है, इसके बाहर खन्डित दिखाई पड़ता है और ७३ मिनट से ज्यादा समय तक पूर्ण दिखाई नहीं पड़ता ( चन्द्र की तरह सूर्य में भी कलंक यानी काले धब्बे (Spots) अनेक हैं जो सूर्य की मध्य रेखा के दोनों तरफ अत्यन्त उत्तर और दक्षिण भाग को छोड़ कर दिखाई पड़ते हैं। इन धब्बों (Spots) की संख्या नियम के अनुसार घटती बढ़ती रहती है और प्रत्येक ११३ वर्ष के पश्चात फिर पूर्व की
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