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जैन शास्त्रों की असंगत बातें ! आज सौर मंडल की असली स्थिति जानने के लिये ऐसे ऐसे यन्त्र और नियम आविष्कृत किये हैं जिनके द्वारा इन खगोल पिन्डों की असली स्थिति (Position) जानने में कोई त्रुटि नहीं रहती। जगह जगह प्रयोशालाओं में सैकड़ों वर्षों से दिन-रात लगातार अन्वेषण जारी हैं और रोजाना सूर्य-चन्द्र आदि के वहाँ हजारों फोटो लिये जा रहे हैं। यूरोप, अमेरिका आदि देशों में अनेक स्थानों में प्रयोगशालाएँ हैं जिनमें ग्रीनविच, माऊंट विलशन, लिक, लावेल तथा जर्मनी की पांच-सात प्रयोगशालाएँ नामी हैं जहां पर सौ सौ इञ्च के व्यास तक के बड़े टाल (Lens) के दूरदर्शक यंत्रों द्वारा अन्वेषण हो रहे हैं। इन अन्वेषणों के इतिहास और इनकी रिपोर्टों के ब्योरेवार वर्णन का साहित्य (Literature) अगर कोई अध्ययन करे तो चकित हो जाना पड़ता है कि इन वैज्ञानिक ज्योतिषियों ने किस प्रकार गजब का परिश्रम किया है और सूक्ष्म ज्ञान द्वारा किस प्रकार संसार के सामने वे सत्यको प्रकाश में ला सके हैं।
पाठक वृन्द, सूर्य के बावत वर्तमान विज्ञान क्या बतला रहा है, इसका भी कुछ वर्णन आप के समक्ष रखं जिससे आप को पता लग जाय कि उसका असली रूप क्या है। सूर्य एक ८६६००० माइल के व्यास का गोलाकार ज्वलन्त पिन्ड है जो अत्यन्त गर्म और दबी हुई गैसों का बना हुआ है और हमारी पृथ्वी से १२५०००० गुणा बड़ा है। हमारी पृथ्वी से सूर्य ६३०० ००००० मील की दूरी पर है और पृथ्वी की अपेक्षा ३३००००
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