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जैन शास्त्रों की असंगत बातें !
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प्रयोग हो गया है। इसलिये प्रत्येक सम्प्रदाय के धर्माचार्य महाराज तथा जैन धर्म के हितेच्छुओं से मेरी विनय पूर्वक नम्र प्रार्थना है कि इन सब शास्त्रों का प्रारम्भ से आखिर तक सब का संशोधन होना चाहिये और इन में के असत्य, अस्वाभाविक और असम्भव प्रमाणित होने वाले तथा मानवहितों के विरुद्ध पड़ने वाले वाक्यों तथा पाठों को हटा देना चाहिये। केवल उन वचनों को रखना चाहिये जो मानब जीवन का निर्माण तथा कल्याण करने वाले हों।
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