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जैन शास्त्रों की असंगत बातें !
बताये हुए असत्य, अस्वाभाविक और असम्भव की श्रेणी में प्रयुक्त होगी। अभी तक तो जैन शास्त्रों की केवल प्रत्यक्ष में असत्य प्रमाणित होने वाली बातों में से ही थोड़ी सी मैने लिखीं है । लगातार यदि ऐसी असत्य प्रमाणित होने वाली बातें ही लेखों द्वारा लिखी जायें तो बरसों लिखी जा सकती हैं । अस्वाभाविक और असम्भव प्रतीत होने वाली बातों का तो अभी तक स्पर्श ही नहीं किया गया है"। एक दूसरे मित्र जो इन शास्त्रों की असत्य बातों को अब हृदय से असत्य समझने लगे हैं यानी जो सम्यक्त्व को प्राप्त हो गये हैं, मुझसे कहने लगे- कुछ लेख अब असम्भव और अस्वाभाविक बातों के भी देने चाहिये बरना बरसों तक इनकी बारी ही नहीं आवेगी । इन मित्र की युक्ति मेरे भी अंची। इसलिये भविष्य में केवल असत्य प्रमाणित होने वाली बातों पर ही लगातार न लिख कर कभी असत्य कभी अस्वाभाविक और कभी असम्भव बातों पर लिखा करूंगा ।
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