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________________ [ आबू जी का स्तवन । तारङ्गा जी का स्तवन । ... पद । (१) (२) राणकपुर का स्तवन ! आदीश्वर जी का स्तवन । श्रीमनन्तनाथ जिन का स्तवन । श्रीमहावीर जिन का स्तवन । दूज की स्तुति । पी की स्तुति । अष्टपी की स्तुति । एक दशी की स्तुति | सिद्धचक्र जी की स्तुति | पयुषण पर्व की स्तुति । दिवली की स्तुति | क्रोध की सम्भाय । मौन एकादशी की सज्झाय । आप स्वभाव की सज्झाय । नित्य भावना की सज्झाय । एकत्व भावना की सज्झाय । ... ... ५ ] ... ... .. ... ... *** ... ... ... ... :: ... ... ... ... ... *** (३) आरति । मङ्गलदीपक । श्री रत्नाकर पञ्चविंशिका | 4884 विधियाँ [२] पत्रिक-प्रतिक्रमण की विधि । चातुर्मासिक-प्रतिक्रमण की विधि । सांवत्सरिक प्रतिक्रमण की विधि | ... ... ... 800 ... ... 8000 ... ... ... ... *** # ..: ... ... } : *** ... ... ... ... ... ... ... ... .... ... ... ... " ३३५ ३३६ ३३७ ३३८ "" ३३६ ३४० ३४१ શ્કર ३४३ ३४४ ३४५ "2 ३४६ ३४७ ३४८ ३४६ 37 ३५० "" ३५१ " ३५२ ३६१ 15 ३६३ 33 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003649
Book TitlePanch Pratikraman
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlal Sanghavi
PublisherAtmanand Jain Pustak Pracharak Mandal
Publication Year1921
Total Pages526
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Paryushan
File Size17 MB
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