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प्रतिक्रमण सूत्र । लोक में शान्ति करने वाला है, उस श्रीमान् शान्तिनाथ भगवान् को नमस्कार हो ॥ १ ॥
शान्तिकारक और महान् ऐसे श्रीशान्तिनाथ प्रभु मुझ को शान्ति देवें, जिन के घर-घर में शान्तिनाथ विराजमान हों, अर्थात् जो शान्तिनाथ की पूजा-प्रतिष्ठा करते हैं, उन को सदा शान्ति ही बनी रहती है ॥२॥ ___अरिष्ट (विघ्न), दुष्ट ग्रहों की गति, अशुभ स्वप्न और अशुभ शकुन आदि निमित्त जिस के कारण दूर हो जाते हैं, अर्थात् उन का बुरा प्रभाव जिस से मिट जाता है और जिस के प्रभाव से हित (मलाई) तथा संपत्ति प्राप्त होती है, ऐसा जो शान्तिनाथ भगवान् के नाम का उच्चारण है, उस की जय वर्तती है ॥३॥
संघ, जगत्, जनपद, राजाधिप, राजसन्निवेश, गोष्ठिक और पुरमुख्यों के नाम के उच्चारण के साथ शान्ति पद का उच्चारण करना चाहिये ॥४॥ जैसे :. श्रीश्रमणसंघ को शान्ति मिले, देशवासियों को शान्ति मिले, राजाओं के स्वामी अर्थात् समाटों को शान्ति मिले, राजाओं के निवासों में शान्ति हो, सभ्य लोगों में शान्ति हो, शहर के अगुओं में शान्ति हो, नगर-निवासी जनों में शान्ति हो और ब्रह्मलोक में शान्ति हो । ओं स्वाहा, ओं स्वाहा, ओं श्री पार्श्वनाथाय स्वाहा।
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