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२९० . प्रतिक्रमण सूत्र ।
[ॐ] ऋषभ-अजित-संभव-आभिनन्दन-सुमति-पमप्रमसुपार्श्व-चन्द्रप्रभ-सुविधि-शीतल-श्रेयांस-वासुपूज्य-विमल-अनन्त
धर्म-शान्ति-कुन्थु--अर-मल्लि--मुनिसुव्रत--नमि-नेमि-पार्ववर्द्धमानान्ताः जिनाः शान्ताः शान्तिकराः भवन्तु स्वाहा।
अर्थओं, शान्ति को पाये हुए,. ऐसे जो ऋषभदेव, अजितनाथ, संभवनाथ, अभिनन्दन, सुमतिनाथ, पद्मप्रभ, सुपाश्वनाथ, चन्द्रप्रभ, सुविधिनाथ, शीतलनाथ, श्रेयांसनाथ, वासुपूज्य, विमलनाथ, अनन्तनाथ, धर्मनाथ, शान्तिनाथ, कुन्थुनाथ, अरनाथ, मल्लिनाथ मुनिसुव्रत, नमिनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ और वर्धमान (महावीर स्वामी) पर्यन्त चौवीस जिनेश्वर हैं, वे सब के लिये शान्ति करने वाले हों, स्वाहा । - ॐ मुनिप्रवरा रिपुविजयदुर्भिक्षकान्तारेषु दुर्गमार्गेषु रक्षन्तु वो नित्यं स्वाहा । .
__ अर्थ-ओं, मुनियों में प्रधान, ऐसे जो मुनि अर्थात् महामुनि हैं, वे वैरियों पर विजय पाने में, अकाल के समय, घने जङ्गलों में और बीहडं रास्तों में हम सब लोगों की हमेशा रक्षा करें, स्वाहा । ___ॐ [ श्री ही ] ह्रीं श्रीं धृति-मति-कीर्ति-कान्ति-बुद्धि लक्ष्मी-मेधा-विद्या साधन-प्रवेशन-निवेशनेषु सुगृहीतनामानो जयन्तु ते जिनेन्द्राः।
अर्थ-ओं हीं श्रीं धीरज, मनन-शक्ति, यश, सुन्दरता, ज्ञान-शक्ति, संपत्ति, धारणा-शक्ति आर शास्त्र-ज्ञान की साधना
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