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१६. परमेष्ठि-नमस्कार । .. १७. उवसग्गहरं स्तोत्र । ..
[उवसग्गहरं स्तोत्र के बनाने का निमित्त ।] ... १८. जय वीयराय सूत्र । ...
[संक्षिप्त और विस्तृत प्रार्थनाओं की मर्यादा।] १९. अरिहंत चेइयाणं सूत्र । .... २०. कल्लाणकंदं स्तुति। ... २१. संसारदावानल स्तुति । ...
[चूलिका की परिभाषा ।]
[गम के तीन अर्थ ।] ... २२. पुक्खर-वर-दीवड्ढे सूत्र ।
[ बारह अङ्गों के नाम । ] ... २३. सिद्धाणं बुद्धाणं सूत्र । .... २४. वेयावच्चगराणं सूत्र। ... २५. भगवान् आदि को वन्दन । २६. देवसिय पडिक्कमणे ठाउं । २७. इच्छामि ठाइउं सूत्र । .... २८. आचार की गाथाएँ। ...
[कालिक और उत्कालिक के पढ़ने का समय ।] २९. सुगुरु-वन्दन सूत्र । ....
[पाँच प्रकार के सुगुरु ।] ... [ तीन प्रकार के वन्दनों का लक्षण ।]
[सुगुरु-वन्दन के पच्चीस आवश्यक ] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org