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________________ प्रतिक्रमण सूत्र । १४. अणाघाडे आसने पासवणे अणहिआसे । १५. अणाघाडे मज्झे उच्चारे पासवणे अणहिआसे । १६. अणाघाडे मज्झे पासवणे अमाहिआसे । १७. अणाघाडे दूरे उच्चारे पासवणे अणहिआसे । १८. अणाघाडे दूरे पासवणे अणहिआसे । १९. अणाघाडे आसन्ने उच्चारे पासवणे अहिआसे । २०. अणाघाडे आसन्न पासवणे अहिआसे । २१. अणाघाडे मझे उच्चारे पासवणे अहिआसे । २२. अणाघाडे मज्झे पासवणे अहिआ से | २३. अणाघाडे दूरे उच्चारे पासवणे अहिआसे । २४. अणाघाडे दूरे पासवणे अहिआसे । सिर्फ रात्रि के चार पहर का पोसह लेने की विधि | इच्छामि० इच्छा० से लगा कर यावत् बहुवेलं करेमि - पर्यन्त सुबह के पोसह लेने की विधि के अनुसार विधि करे । उस के बाद शाम के पाडलेहण में इच्छामि ० दे कर 'पाडलेहण करूं ?' इस आदेश से लेकर 'उपधि पडिलेहुं ?' इस आदेश पर्यन्त पूर्वोक्त विधि करे | पीछे देव वाँदे, माँडले करे और पडिक्कमणा करे । सुबह चार पहर का पोसह लिया हो और पीछे आठ पहर का पोसह लेने का विचार हो तो शाम की पडिलेहणा करते समय इरियावहिय पडिक्कम के 'इच्छामि० इच्छा० गमणागमणे' आलोच कर 'इरियावहियं' से लगा कर 'बहुवेलं करेमि' इस आदेश - पर्यन्त सुबह के पोसह लेने की विधि के अनुसार विधि करे; 'सज्झाय करूं ?"" Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org २२०
SR No.003649
Book TitlePanch Pratikraman
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlal Sanghavi
PublisherAtmanand Jain Pustak Pracharak Mandal
Publication Year1921
Total Pages526
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Paryushan
File Size17 MB
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