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विधियाँ ।
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इच्छं;' इच्छामि०, इच्छा० सज्झाय संदिसाहुं ? इच्छं; इच्छामि०, इच्छा० सज्झाय करू ? इच्छं' कहे। पीछे दो हाथ जोड़ कर तीन नवकार गिने । बाद 'इच्छामि०, इच्छा० बहुवेलं संदिसाहुं ? इच्छं'; इच्छामि०, इच्छा० बहुवेलं करेमि ? इच्छं'; इच्छामि०, इच्छा० पाडलेहण करुं ? इच्छं' कहे। पीछे मुहपत्ति, चरवला, आसन, कंदोरा ( सूत की बागड़ी) और धोती, ये पाँच चीजें पडिले । पीछे “इच्छामि०, इच्छकारि भगवन् पसायकरी पडिलेहणा पडिले - हावो जी ?" ऐसा कह कर ब्रह्मचर्य व्रतधारी किसी बड़े के उत्तरासन की पडिलेहना करे। पीछे 'इच्छामि०, इच्छा० उपधि मुहपत्ति पडिलेहुं ? इच्छं' कह कर मुहपत्ति पडिले हे । पीछे " इच्छामि०, इच्छा० उपधि संदिसाहुं ! इच्छं ;' इच्छामि०, इच्छा० उपधि पडिलेहुं ? इच्छं' कह कर प्रथम पडिलेहन से बाकी रहे हुए उत्तरासन ( दुपट्टा), मात्रा (पेशाब) करने जाने का वस्त्र और रात्रि - पौषध करना हो तो लोई, कम्बल वगैरह वस्त्र पडिलेहे । पीछे डंडासण ले कर जगह पडिलेहे । कूड़ा-कचरा निकाले और उस को देख - शोध यथायोग्य स्थान में देख के "अणुजाणह जस्सुम्गहो" कह के परठ देवे । परठने के बाद तीन बार "वोसिरे, वोसिरे, बोसिरे" कहे | बाद इरियावहिय पडिक्कमे । पीछे देव - वन्दन करे | देव - वन्दन की विधि |
इच्छामि०, इच्छा०, इरियावहिय०, तस्स उत्तरी०, अन्नत्थ ०, एक लोगस्स का काउस्सम्ग (प्रगट लोगस्स) कह के उत्तरासन डाल कर
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