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________________ १९. प्रतिक्रमण सूत्र । भी यदि पूरे तौर से निद्रा दूर न हो तो श्वास को रोक कर उसे दूर करे और द्वार का अवलोकन करे (दरवाजे की ओर देखे) ॥२॥३॥ __ * जइ मे हुन्ज पमाओ, इमस्त देहस्सिमाइ रवीए । आहारमुहिदेह, सव्वं तिविहेण वोसिरिअं॥४॥ भावार्थ--[नियन । ] यदि इस रात्रि में मेरी मृत्यु हो तो अभी से आहार, उपधि और देह का मन, वचन और काय से मेरे लिये त्याग है ॥४॥ . चलरि मंगर--अरिहंता मंगलं, सिद्धा मंगलं, साहू मंगलं, केबलिपन्नत्तो धम्मो मंगलं ॥५॥ . चत्तारि लोगुत्तमा-अरिहंता लोगुत्तमा, सिद्धा लोगुत्तमा, साहू लोगुत्तमा, केवलियन्नत्तो धम्मोलोगुत्तमो॥६॥ चत्तारि सरणं पज्जामि-अरिहंते सरणं पवज्जामि, सिद्धे सरगं परज्जामि, साहू सरणं पयज्जामि, केवलिपन्नत्वं धम्म सरणं परज्जामि ॥७॥ * यदि मे भवेत्प्रमादोऽस्य देहस्यास्यां रजन्याम् । आहारमुपधिदेहं, सर्व त्रिविधेन व्युत्सृष्टम् ॥४॥ * चत्वारि मङ्गलानि-अर्हन्तो मङ्गलं, सिद्धा मङ्गलं, साधवो मङ्गलं,. केवलिप्रज्ञप्तो धर्मो मङ्गलम् ॥५॥ चत्वारो लोकोत्तमाः-अर्हन्तो लोकोत्तमाः, सिद्धा लोकोत्तमाः, साधवो. लोकोत्तमाः, केवलिप्रज्ञप्तो धर्मो लोकोत्तमः ॥६॥ . चत्वारिशरणानि प्रपद्ये-अर्हतः शरणं प्रपद्ये, सिद्धान् शरणं प्रपद्ये, साधून शरणं प्रपद्ये, केवलिप्रज्ञप्तं धर्म शरणं प्रपद्ये ॥७॥ ... Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003649
Book TitlePanch Pratikraman
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlal Sanghavi
PublisherAtmanand Jain Pustak Pracharak Mandal
Publication Year1921
Total Pages526
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Paryushan
File Size17 MB
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