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प्रतिक्रमण सूत्र । ___अन्वयार्थ— 'जीसे' जिस के “खित्ते' क्षेत्र में 'साहू' साधु 'चरणसहिएहि चारित्र-सहित ‘दसणनाणेहिं' दर्शन और ज्ञान से 'मुक्खमग्गं' मोक्षमार्ग को 'साहति' साधते हैं 'सा' वह 'देवी' क्षेत्र देवी 'दुरिआई' पापों को 'हरउ' हरे ॥१॥
भावार्थ-साधुगण जिस के क्षेत्र में रह कर सम्यग्दर्शन सम्यग्ज्ञान, और सम्यक्चारित्र का साधन करते हैं, वह क्षेत्र - अधिष्ठायिका देवी विनों का नाश करे ॥१॥
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४१-कमलदल स्तुति । कमलदलविपुलनयना, कमलमुखी कमलगर्भसमगौरी । कमले स्थिता भगवती, ददातु श्रुतदेवता सिद्धिम् ॥१॥
अन्वयार्थ-'कमलदलविपुलनयना' कमल-पत्र-समान विस्तृत नेत्र वाली 'कमलमुखी' कमल-सदृश मुख वाली 'कमलगर्भसमगौरी' कमल के मध्य भाग की तरह गौर वर्ण वाली 'कमले स्थिता' कमल पर स्थित, ऐसी 'भगवती श्रतदेवता श्रीसरस्वती देवी 'सिद्धिम्' सिद्धि 'ददातु' देवे ॥१॥
भावार्थ-भगवती सरस्वती देवी सिद्धि देवे; जिस के नेत्र; कमल-पत्र के समान विशाल हैं, मुख कमलवत् सुन्दर है, वर्ण कमल के गर्भ की तरह गौर है तथा जो कमल पर स्थित है ॥१॥
१-स्त्रियाँ तदेवता की स्तुति के स्थान पर इस स्तुति को पढ़ें।
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