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________________ ( १० ) शंकर स्वामि पीछे भिन्न भिन्न मतोकी उत्पत्ति. वल्लनाचार्यका भक्तिमार्ग. वैदिकी हिंसाका स्वीकार. मांसाहारी ब्राह्मण. यज्ञमें मांस भक्षण. पशु होमका प्रचार. पुनामें वाजपेय यज्ञ. एक दि शास्त्रमें आधा सच्चा - और आधा जूग नहि दोइ सकता है. कर्मकां ब्राह्मणोकी आजीविका है. संन्यासका प्रचार. तीर्थोका माहात्म्य सो टंकशाल है. ब्राह्मणोकी कुटिलता. ए ग्रंथका दुसरा प्रयोजन. श्री ऋषन देवका विद्यादान और भरतने. जैन वेद बनाया. जैन राजाओका समयमेंजी जैनयोकी शांति; पाराशर स्मृतिका अनादर. कलियुगमें हिंसाका निषेध. सांप्रतकाल में अग्निहोत्री बहोत है. मधुपर्ककी उत्पत्ति. पुराणमंत्री मांसखाने की छूट है. वेद बनायेका मित्र जिन्न समय. वेद शब्द लगा कर अन्यनामन्त्री बने है. वेद विधि देवताका श्रावादन और विसर्जन. कृष्णाजी ब्राह्मणोसें मरता है. Jain Education International For Private & Personal Use Only १४ १४ १४ १५ १५ १५ १६ १६ १७ १७ १८ १ १७ २० २१ श्‍ २२ १३ २३ २४ २५ २५ श्‍ २६ www.jainelibrary.org
SR No.003648
Book TitleAgnantimirbhaskar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayanandsuri
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1906
Total Pages404
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Vaad, & Philosophy
File Size22 MB
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