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________________ मंत्री सामंतसिंह, मंत्री संग्राम सोनी तथा मंत्री आम्रदेव आदि का नाम उल्लेखनीय है । गिरनार पर्वत की तलहटी में दो श्वेताम्बर एवं एक दिगम्बर मंदिर है। तलहटी के मंदिर के निकट ही पर्वत की चढ़ाई प्रारम्भ होती है । चढ़ाई काफी कठिन है। लगभग ३ कि. मी. लम्बे मार्ग में कम से कम ४००० सीढ़ियां हैं, पर भक्त का हृदय जब प्रभु दर्शन को लालायित हो तो फिर दुर्गम, दुर्गम कहां रह पाता है ! चढ़ाई पूर्ण होने पर श्री नेमिनाथ भगवान की मुख्य ट्रंक का द्वार दिखाई देता है। यहां ९०x१३० फुट के विशाल चौक के मध्य में परिनिर्मित जिनालय अपनी अद्भुत छटा बिखेरता है । इस जिनालय के सामने ही मानसंग भोजराज की ट्रंक है। मंदिर के मूलनायक श्री संभवनाथ है। मुख्य ट्रंक की उत्तर दिशा में कुछ दूरी पर मेलकवसही ट्रंक है। सिद्धराज के महामंत्री सज्जन सेठ द्वारा निर्मापित इस टूंक में मूलनायक श्री सहस्रफणा पार्श्वनाथ है। इस ट्रंक में तीर्थंकर आदिनाथ की एक विशाल प्रतिमा है जिसे लोग 'अदभुत जी' भी कहते हैं । यहां से कुछ दूरी पर संग्राम सोनी की टंक है। प्राप्त उल्लेख से ज्ञात होता है कि इस मंदिर का निर्माण सोनी समरसिंह और मालदेव ने कराया था। मुख्य मंदिर दो मंजिल का है जिसके मूलनायक श्री सहस्रफणा पार्श्वनाथ है। संग्राम सोनी की टंक के आगे कुमारपाल राजा की ट्रंक है। प्राप्त सन्दर्भों से ज्ञात होता है कि इस ट्रंक का निर्माण राजा कुमारपाल ने तेरहवीं सदी में किया था। यहां के मूलनायक श्री अभिनन्दन स्वामी हैं। यहां निकट में भीमकुंड और गजपद कुंड भी है। इस टूंक में कुछ दूरी पर वस्तुपाल-तेजपाल की ट्रंक है। वहां उत्कीर्ण शिलालेख से ज्ञात होता है कि सं. १२८८ में इस टूंक का निर्माण हुआ था। ट्रंक में श्री पार्श्वनाथ भगवान, श्री ऋषभदेव भगवान एवं श्री महावीर स्वामी के मंदिर हैं। ऋषभदेव स्वामी के मंदिर में अब श्री शामला पार्श्वनाथ जी की प्रतिमा विराजमान है। 1 इस टूंक के पास ही श्री संप्रति राजा की ट्रंक है। मंदिर काफी विशाल एवं प्राचीन है । मंदिर के मूलनायक श्री नेमिनाथ भगवान है। यहां से कुछ दूरी पर क्रमशः श्री चौमुखजी, श्री संभवनाथ भगवान की ट्रंक, धर्मशी हेमचन्द्र जी की ट्रंक, सती राजुलमति की गुफा, गौमुखी गंगा एवं चौबीस जिनेश्वर की ट्रंक है। गिरनार की पांच टूकें प्रचलित हैं। पहली ट्रंक तीर्थंकर नेमिनाथ की है। दूसरी ट्रंक श्री अंबाजी की है। तीसरी ट्रंक को ओघड़ शिखर कहते हैं जहां नेमिनाथ भगवान की चरण पादुकाएं प्रतिष्ठित हैं। चौथी ट्रंक पर भी नेमिनाथ के चरण हैं। पांचवी ट्रंक बीहड़ जंगल में पर्वत की ऊंची चोटी पर है जिसमें नेमिनाथ एवं वरदत्त गणधर की चरण पादुकाएं हैं। प्राकृतिक सुषमा से अभिमंडित इस पावन तीर्थ की यात्रा जीवन का सौभाग्य है । प्रणाम हैं, नेमि और राजुल को जिनके चरण स्पर्श से गिरनार की पर्वतावली धन्य हुई। प्रणाम हैं, उन आत्माओं को भी जो यहाँ की पवित्र माटी का स्पर्श कर धन्य होते हैं। Jan Education 72 For Private & Personal Use Only अतीत का अवशेष राजुतमाता की गुफा राजिमती की गुफा www.jilibrary.org.
SR No.003646
Book TitleVishva Prasiddha Jain Tirth Shraddha evam Kala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1996
Total Pages162
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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