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________________ भगवान पार्श्वनाथ श्री चांदनपुर महावीर जी जैन धर्म के अतिशय-क्षेत्रों में एक है। सवाई माधोपुर जिले में स्थित यह तीर्थ प्राकृतिक सुषमा से अभिमंडित है। नदी के तट पर निर्मित यह तीर्थ श्रद्धालुओं की श्रद्धा का केन्द्र है। श्रद्धा की दृष्टि से चांदनपुर महावीरजी को तीर्थों का हृदय-स्थल कहा जाये तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। जैन-धर्म की प्रमुख शाखा दिगम्बर परम्परा की यह पुण्यस्थली है। तीर्थ के सन्दर्भ में यह मान्यता है कि तीर्थ-मंदिर के मूलनायक भगवान श्री महावीर की प्रतिमा भू-खनन से प्राप्त हुई। कोई कामदुहा-धेनु प्रतिदिन चांदनपुर गाँव के पास स्थित टीले पर अपना दूध झार आया करती थी। गौ-स्वामी और ग्रामवासियों के लिए ऐसा होना आश्चर्यजनक था। उन्होंने उस टीले की खुदाई की। जमीन में भगवान की प्रतिमा को प्रकट हुआ देख ग्रामीण भावाभिभूत हो उठे। प्रतिमा के प्रकट होने का समाचार सर्वत्र प्रसारित हो गया। जनसमुदाय दर्शन के लिए उमड़ पड़ा। लोगों की मंशाएं पूर्ण होने लगी और इस तरह से भगवान महावीर की इस अद्भुत चमत्कारमयी प्रतिमा को विराजमान करने के लिए एक भव्य मंदिर का निर्माण करवाया गया। सतरहवीं से उन्नीसवीं शताब्दी तक इस मंदिर का समय-समय पर कायाकल्प होता रहा है। शिल्प की दृष्टि से मंदिर का सौष्ठव कल मिलाकर प्रशंसनीय है, किन्तु श्रद्धा की दृष्टि से महावीर जी एक अनुपम तीर्थ है । प्रतिवर्ष यहां लाखों दर्शनार्थी भगवान के श्रीचरणों में अपने श्रद्धा-सुमन अर्पित करने पहुंचते हैं। जयपुर संभाग की नरेश-परम्परा भी इस तीर्थ के प्रति निष्ठाशील रही है। नरेशों द्वारा मंदिर की व्यवस्था के लिए अनुदान भी दिया जाता रहा है। यहाँ मानव-सेवा से सम्बन्धित कार्य भी सम्पादित होते रहे हैं। प्रभु-प्रतिमा जिस स्थान पर प्रकट हई है वहां संगमरमर की एक छत्री निर्मित है, जिसमें प्रतीक स्वरूप चरण-पादुका प्रतिष्ठित है। मंदिर की निर्माण-शैली रोचक और भव्य है। मंदिर के शिखर-समूह का दृश्य एक ही दृष्टि में मन को मोह लेता है। पूर्णिमा की चांदनी से नहाता चांदनपुर-तीर्थ मानवमात्र को पवित्रता और शीतलता का संदेश प्रदान करता है। काँच का स्वर्णिम मंदिर आभा बिखेरती पावन प्रतिमा 14
SR No.003646
Book TitleVishva Prasiddha Jain Tirth Shraddha evam Kala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1996
Total Pages162
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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