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________________ के तीनों ओर प्राकृतिक जल-कुंड है इसलिए इसे जल-मंदिर कहते हैं। मंदिरजी में मूलनायक के रूप में विराजमान शामलिया पार्श्वनाथ भगवान की सौम्य-शान्त प्रतिमा अनायास ही मन को भक्ति-भाव से ओत-प्रोत कर देती है। इस मंदिर का निर्माण जगत् सेठ श्री खुशाल चन्दजी ने करवाया था। उन दिनों यातायात के साधन नहीं थे। अत: निर्माण की सारी सामग्री मधुवन में एकत्रित की जाती थी और फिर हाथियों द्वारा यहाँ तक लायी जाती थी। जल-मंदिर से पारसनाथ ढूंक जाते समय मार्ग में सर्वप्रथम बीसवीं ढूंक श्री शुभ गणधर स्वामी की है । इसके आगे इक्कीसवीं ट्रंक तीर्थंकर श्री धर्मनाथ की है। ट्रंक में स्थापित चरण सन् १८२५ में प्रतिष्ठित हैं। इसी के आगे मार्ग में श्री वारिषेण शाश्वत जिन की ट्रॅक है । कुछ दूरी पर चौबीसवीं ढूंक तीर्थंकर श्री सुमतिनाथ की है। यहाँ चैत्र शुक्ला नवमी को भगवान ने निर्वाण प्राप्त किया। पच्चीसवीं ट्रॅक तीर्थंकर श्री शांतिनाथ की है। छब्बीसवीं ढूंक तीर्थंकर महावीर स्वामी की है। सत्ताईसवीं ट्रॅक तीर्थंकर श्री सुपार्श्वनाथ भगवान की है । इसी के आगे अट्ठाईसवीं ट्रॅक तीर्थंकर श्री विमलनाथ की है। उन्तीसवीं ट्रंक तीर्थंकर श्री अजितनाथ की है। तीसवीं ढूंक तीर्थंकर नेमिनाथ की है। यहां सं. १९३४ में प्रभु के चरण स्थापित किये गये थे। सम्मेत शिखर महातीर्थ की अन्तिम और सर्वोच्च ट्रॅक भगवान श्री शांतिनाथ ट्रॅक : शांति का सुखद स्थल MIN RSE FAIRTER परम पिता का समाधि मंदिर श्री शुभस्वामी की ट्रॅक 128 Personal use only JainEducation international For Private www.jainelibrary.org
SR No.003646
Book TitleVishva Prasiddha Jain Tirth Shraddha evam Kala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1996
Total Pages162
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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