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________________ सीयमंगलं :- मंजपट्टु से डेढ़ कि.मी. पर सीयमंगलं नाम का गाँव है । वहॉ जैन नहीं है । एक जमाने में खूब रहे होंगे। उस गाँव के पहाड़ पर एक गुफा है। गुफा के ऊपर चट्टान पर तीन मूर्तियां उत्कीर्ण है । वे भगवान् पार्श्वनाथ, महावीर भगवान् और बाहुबली भगवान् हैं । मूर्तियाँ नयनाभिराम है । ऊपर चढ़ने के लिये सीढ़ियाँ हैं । सुना जाता है कि गुफा के अन्दर पाँच फुट की मूर्ति थी । गुफा का द्वार बन्द न होने के कारण दुष्ट लोगों ने उसे खण्डित कर दिया है। अब वह मूर्ति चेन्नई के म्यूजियम में है। पहाड़ आजकल आर्कोलेजिकल डिपार्टमेंट में है। मूर्ति करीब डेढ हजार साल पहले की होनी चाहिए। शासन देवताओं की मूर्तियां है, उन्हें गॉव के अजैन लोग पूजते हैं । यह स्थान देसूर से ३ कि.मी. पर है। गुफा आदि को देखने से पता चलता है कि वह मुनिराजों का निवास स्थान रहा था । वे वहाँ तप करते हुए पास के गाँवों में जाकर आहार लाया करते थे । जहाँ कहीं भी पहाड़ और गुफा होगी वहॉ पर जिन प्रतिमायें अवश्य होंगी, क्योंकि तमिलनाडु में एक जमाने में आठ हजार मुनिराज विहार एवं संचार करते थे । वे मुनिगण अधिकांश गुफा में ही रहा करते थे । तप के लिए वही अनुकूल एवं एकान्त स्थान होता था । | तेन्नात्तूर :- तेन्नात्तूर गॉव मंजपट्टु से २ कि.मी. पर है। यहाॅ एक जिनमन्दिर है । मूलनायक भगवान् महावीर स्वामी है । पाषाण एवं धातु की प्रतिमायें बहुत । शासन देवताओं की प्रतिमायें भी है । दिगम्बर जैन परिवार के ३० घर है । मन्दिर का जीर्णोद्धार होकर वेदी प्रतिष्ठा भी हो गई है । भगवान् को यथास्थान विराजमान कर दिया गया है । धर्म-कर्म पर लोगों की श्रद्धा है । यहाँ धर्म का प्रचार होना चाहिए । | इसाकुलत्तूर :- यह गाँव तेन्नात्तूर से २ कि.मी. पर है। एक जिनमन्दिर है । मूलनायक भगवान् महावीर स्वामी है । पाषाण और धातु की मूर्तियाँ भी है । सभी मूर्तियाँ नयनाभिराम है । परिक्रमा पर तीन मूर्तियाँ दीवार के अन्दर उत्कीर्ण है। यहाॅ कूष्माण्डिनी (धर्मदेवी) देवी की अलग वेदी है। देवी की मूर्ति चार फुट ऊँची है। हर शुक्रवार के दिन लोग आते हैं और मनौती करते हैं । वर्षारंभ के दिन भीड़ ज्यादा होती है। जैनों के घर १० है । मन्दिर का जीर्णोद्धार कार्य हुआ है । महासभा और दानी महानुभावों की सहायता भरपूर रही है । सोलै अरुगाबूर :- यह कुलत्तूर से दो कि.मी. पर है। यहाँ आदिनाथ भगवान् का जिनमन्दिर है । पाषाण की एवं धातु की मूर्तियाँ है । मन्दिर का जीर्णोद्धार चालू है । महासभा की सहायता मिली है। जैनों के ३० घर है। लोगों की धर्म में अभिरुचि साधारण । धर्म प्रचार की आवश्यकता है । Jain Education International 74 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003645
Book TitleTamilnadu Digambar Tirthkshetra Sandarshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatvarshiya Digambar Jain Mahasabha Chennai
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year2001
Total Pages192
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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